योगेश शर्मा
हरिद्वार में अवैध खनन सामग्री से भरे वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ रहे है। ट्रैक्टर ट्रालियों में बिना बिल के ओवरलोडिंग हो रही है। लेकिन सड़क किनारे पेड़ के नीचे खड़े पुलिसकर्मी आपके वाहन को रोकने के बाद एंट्री देंखेगे। अगर आपने थाने की एंट्री दी तो बस चेतक वालों का खर्चा दो और निकल जाओ। कुछ इसी फार्मूले पर पुलिस काम कर रही है।
मित्र पुलिस आपकी सेवा और सुरक्षा में तैनात है। जी हां खनन कारोबारियों के साथ पुलिस मित्रता खूब निभा रही है। खनन कारोबारियों की सेवा में भी तत्पर है। लेकिन इसके लिए आपको थाने की एंट्री के नियम को पूरा करना होगा।
बता दे कि बीते दिनों पुलिस ने खनन कारोबारियों की नाक में दम कर दिया है। स्टोन क्रेशर से खनन सामग्री भरते ही पुलिस आ धमकती थी। मुंशियों को कड़ी फटकार लगाती और खनन सामग्री से भरे वाहनों को खाली करा देती है। ट्रैक्टर ट्रालियों और डंपर वाहनों के पहिए जाम हो गए। करीब एक माह तक यही सिलसिला चलता रहा। पुलिस की सख्ती को देखकर क्रेशर संचालक भी बौखला गए। वाहन स्वामियों के भी गले—गले आ गई। लोगों के निर्माण कार्य रूक गए। पुलिस की यह सख्ती किसके आदेश पर कर रही थी, यह चर्चा का विषय बन गया। पुलिस ने एंट्री तक लेनी बंद कर दी। बस सभी की जुबां पर एक ही बात थी कि खनन प्रतिबंधित है। लेकिन बीते कुछ वक्त में यह प्रतिबंध पूरी तरह से हट गया है। एक बार फिर सड़कों पर ओवरलोडिंग वाहन दौड़ रहे है। पुलिस को कोई आपत्ति नही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार सिस्टम से खेला कौन कर रहा है।