नवीन चौहान.
मुख्यमंत्री और मंत्री मंडल की शपथ होने के बाद अब एक सवाल जनता के मन में तैर रहा है कि क्या प्रदेश से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की राजनीति खत्म हो गई, क्या मदन कौशिक हाशिए पर पहुंचा दिये गए हैं।
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि इस बार मदन कौशिक ने मंत्रीमंडल में शामिल होने की दावेदारी जतायी थी लेकिन संगठन ने उन्हें मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी बनाए गए हैं, ऐसे में यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव लड़ाकर जीतने के बाद कोई मंत्री पद दिया भी जाता तो वह उनकी सीनियरिटी के आड़े आता। सीएम के फैसलों को लेकर आपस में तनातनी बनी रहती।
लेकिन जिस तरह से न तो उन्हें इस बार चुनाव लड़वाया गया और न ही संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी गई उसे यह संदेश जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे कर्मठ और ईमानदार कार्यकर्ता की राजनीति हाशिए पर पहुंचा दी गई है। त्रिवेंद्र को इस तरह खाली बैठाकर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन उनका खालीपन लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।
इसी तरह मदन कौशिक को भी मंत्री पद नहीं दिया गया, सूत्रों की मानें तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनने का आफर दिया गया था लेकिन उन्हें इसे ठुकरा दिया। मदन कौशिक केवल मंत्री पद चाहते थे। फिलहाल उन पर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी है। मंत्री पद न देकर संगठन ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि अब वह प्रदेश के मंत्रीमंडल में किसी ओर को मौका दें।
अभी उन पर प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन वर्तमान स्थिति बता रही है कि आने वाले दिनों में उनकी राजनीति प्रदेश में कम हो जाएगी, हो सकता है संगठन ने प्रदेश से बाहर कोई बड़ी जिम्मेदारी आने वाले समय में दे, लेकिन तब तक इंतजार करना होगा।