नवीन चौहान
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक भावुक हृदय के सरल इंसान है। पेड़— पौधों और जड़ी बूटियों का उनको विशेष ज्ञान है। पशु, पक्षियों की सेवा करने को धर्म समझते है। भगवान के प्रति आस्था रखते है। जनता की सेवा करना उनका राजनैतिक उददेश्य है। किसी से देष भावना नही रखते, लेकिन अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वालों को कभी माफ भी नही करते। कूटनीति में माहिर है। ईमानदारी उनका ब्रहृास्त्र है और कम बोलना उनकी आदत है। बच्चों के बीच बच्चे है और उत्तराखंड के बुजुर्गो के सच्चे बेटे है। लेकिन सबसे बड़ी और खास बात यह कि विश्वासघात करने वालों को कभी माफ नही करते। ईमानदारी उनका ब्रहृास्त्र है और भोजन के बाद मीठा खाना सबसे बड़ी कमजोरी है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत की दिनचर्या की बात करे तो वह प्रतिदिन सुबह पांच बजे उठकर नियमित योगा करते है। दाल, सब्जी रोटी, खिचड़ी और सलाद उनका प्रिय भोजन है। जबकि भोजन के बाद मीठा खाना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। और किसी भी प्रकार के मादक पदार्थो से कोसों दूर रहते है। यही कारण है कि 60 साल की आयु में त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्ण रूप से स्वस्थ है। सकारात्मक सोच के साथ भाजपा संगठन के प्रति सच्चे सिपाही की भांति कार्य कर रहे है।
यूं तो वीआईपी लोगों के जीवन व्यक्तित्व के बारे में जनता बहुत कुछ नही जानती। इधर—उधर से सुनी बातों को ही सच मान बैठती है। सुनी सुनाई बातों का प्रचार भी तेजी से होता है। अगर वो दुस्प्रचार कोई अपने ही परिवार का सदस्य करें तो उसकी गति भी तेज होती है। ऐसा ही दुरूप्रचार भाजपा के कुछ लालची और स्वार्थी नेताओं ने अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ किया था। लालची और स्वार्थी इसलिए बोला गया है क्योकि इनके गलत कार्यो को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंजूरी नही दी थी। जिसके बाद इन लालची नेताओं ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि को धूमिल करने के लिए अंहकारी बताना शुरू कर दिया था।
जबकि सच्चाई यह है कि ईमानदार व्यक्ति के चेहरे पर विशेष आकर्षण होता है। वही आकर्षण त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे पर आज भी झलकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर ईमानदारी से राजधर्म का पालन किया। जनहित के निर्णयों को प्राथमिकता दी। उत्तराखंड की गरीब महिलाओं की समस्याओं को अपनी मां बहन की पीड़ा समझते हुए घस्सियारी योजना को लागू कराया। गरीबों के इलाज के लिए अटल आयुष्मान योजना को फलीभूत कराया। कुल मिलाकर उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के गौरव को बढ़ाया।
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने निजी स्वार्थो की पूर्ति नही की और ना ही अपने करीबियों को विधानसभा में बैकडोर से भर्ती कराया। इसी बैकडोर की नियुक्तियों के कारण तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल जो कि वर्तमान सरकार में केबिनेट मंत्री और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच टकराव और दूरियां हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने सभी मंत्रियों और विधायकों के जनहित के कार्यो को प्राथमिकता से करते थे। लेकिन उनके निजी स्वार्थो की पूर्ति वाले कार्यो की फाइल को अलमारी में धूंल फांकने के लिए भेज देते है।
अब इसे अंहकार कहा जाए या फिर उत्तराखंड की जनता के प्रति सच्ची वफादारी। यही कारण है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की ताकत और लोकप्रियता का अंदाजा सभी को साफ दिखाई दे रहा है। चर्चाओं का दौर जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी सभी पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है।