पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई




नवीन चौहान.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की याचिका पर सुनवायी हुई। इस दौरान उमेश कुमार शर्मा के वकील ने माननीय उच्चतम नयालय में ये तर्क दिया- कि उनका मुवक्किल उमेश कुमार शर्मा मामले को सुलझाना चाहता है।

कोर्ट में त्रिवेंद्र सिंह रावत के वकील नादकर्णी ने माननीय न्यायाधीश के आगे यह तर्क दिया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट का फैसला न्याय की नीति के विरुद्ध है और इसी कारण से उससे रद्द किया जाना चाहिए।

उमेश कुमार शर्मा के वकील ने उन्हें बीच में रोकते हुए जजों के सामने ये बयान दिया है कि वो इस मामले में “मुकदमा नहीं करना चाहता है” और इसी सिलसिले में संकल्प लेने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से समय की मांग की। उमेश कुमार शर्मा के वकील ने कोर्ट में उपलब्ध रूप से ये कहा कि वह त्रिवेंद्र सिंह रावत की याचिका का समर्थन करेंगे। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने उमेश कुमार शर्मा के वकील की रिक्वेस्ट पर 4 जनवरी 2023 को अगली सुनवायी की तारीख रखी है।

बता दें कि अक्टूबर 2020 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे। इसके खिलाफ एसएलपी के माध्यम से त्रिवेंद्र सिंह रावत सुप्रीम कोर्ट गए। पहली ही सुनवाई में स्टे कर दिया गया। आज यह मामला न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था।

2020 में सोशल मीडिया पोस्ट के द्वारा उमेश कुमार ने हरेंद्र सिंह रावत एवं परिवार पर भ्रष्टाचार का आक्षेप लगाया था। इसके विरुद्ध हरेंद्र रावत नैनीताल हाईकोर्ट गए थे। तत्कालीन जज मैठाणी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत पर CBI Enquiry का आदेश दे दिया था। इसके दूसरे दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि इस मामले में वो तो पार्टी भी नहीं थे। वो तो उमेश कुमार और हरेंद्र रावत के बीच का केस था।



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