शाश्वत रावत: पिता बनाना चाहते थे मास्टर, बेटा बन गया क्रिकेटर




नवीन चौहान
अपनी धुंधाधार बल्लेबाजी के दम पर पहचान बनाने वाले उत्तराखंड निवासी अंडर—19 के क्रिकेट खिलाड़ी शाश्वत रावत को उसके पिता शिक्षक बनाना चाहते थे, लेकिन क्रिकेट के प्रति लगन के आगे वे झुक गए और उसी में करियर बनाने के लिए प्रेरणा देने लगे। दाएं हाथ के बल्लेबाज शाश्वत रावत ने पिछले साल श्रीलंका में हुए यूथ एशिया कप—2019 में प्रतिभाग करते हुए बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपनी पहचान बनाई। बड़ौदा के लिए खेल रहे शाश्वत इससे पहले इंडिया ए टीम में भी चुने गए थे। घरेलू सत्र के प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन भारतीय टीम में हुआ। उन्होंने महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून से कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई की। इस दौरान क्रिकेट कोच पवन पाल से क्रिकेट की कोचिंग लेने के बाद शाश्वत रावत ने बड़ौदा का रुख किया था।


उत्तराखंड के खिलाड़ी शाश्वत रावत ने अंडर—19 में टीम में शामिल होकर प्रदेश का नाम पूरे विश्व में रोशन कर रहे हैं। हालांकि उनके परिजन मूल रूप से अल्मोड़ा के निवासी हैं, लेकिन वे काम के चलते हुए हरिद्वार जनपद के गांव श्यामपुर क्षेत्र के गाजीवाली में आकर बस गए। यही पर शाश्वत का जन्म 6 अप्रैल—2001 को हुआ। शाश्वत का प्यार का नाम गुड्डू है। उनके माता—पिता और बहन मानसी अपने बेटे की कामयाबी पर बेहद उत्साहित हैं। उनसे वरिष्ठ पत्रकार नवीन चौहान की विशेष बातचीत हुई। —— जिसके प्रमुख अंश—
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पिता गोपाल सिंह रावत की नजर से शाश्वत
— शाश्वत उर्फ गुड्डू बचपन से बेहद भावुक और संवेदनशील रहा है। उसका क्रिकेट से बेहद लगाव था। उसके हाथ में बचपन से हमेशा एक डंडा या कपड़े धोनी वाली थपकी होती थी। वह कहता था कि क्रिकेट में आगे बढ़ना है।
— एक ही बच्चा होने के चलते हुए शाश्वत को शिक्षा जगत में ले जाना चाहते थे, लेकिन वह क्रिकेट में प्रति जुनूनी था। हरिद्वार में ट्रायल हुआ तो वहां पर देखा कि बड़े—बड़े बच्चे हैं। वहां पर कोच ने कहा कि अगले साल लेकर आना, लेकिन जब ट्रायल शुरू हुआ और शाम को सूची जारी हुई तो शाश्वत का नाम नंबर वन पर है।
— शाश्वत के क्रिकेट से भविष्य को तय करने के लिए ग्वालियर लेकर पहुंचे तो वहां पर भीषण गर्मी होने के चलते हुए छोड़ने को मन नहीं हुआ। इस पर शाश्वत के कहा कि उसे भीषण गर्मी वाले क्षेत्र में तो क्या जंगल में छोड़ दे तो भी क्रिकेट सीखूंगा।
— देहरादून लेकर गए तो वहां पर शाश्वत को खेलते हुए एक कोच ने देखकर आश्चर्य जताते हुए कहा कि इतना छोटा होते हुए यह कैसे खेल लेता है।
— शाश्वत जब खेल में मायूस हो जाता था तो उसका उत्साहवर्धन करते हुए कहते थे कि बेटा प्रयास जारी रखने से ही सफलता हासिल होगी। गलती हो जाए तो उसमें सुधार की जरूरत है। लगातार संघर्ष करना ही आगे बढ़ने की प्रेरणा देता था। शाश्वत आगे बढ़ने के लिए लगातार जुनून के साथ अपनी प्रैक्टिस करता था।

उसकी मेहनत से बीसीसीआई अंडर—19 में उसका ही सलेक्शन हुआ है तो उससे बड़ी खुशी मिलती है।
— कोरोना संक्रमणकाल के दौरान जब घर आया था तो उसने पूछा कि अब उसे जाना चाहिए या नहीं, लेकिन उसे प्रैक्टिस के लिए भेजना पड़ा।
— प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि लॉयल बनकर काम करना चाहिए। इससे ही मुकाम हासिल किया जा सकता है।
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सीए कर रही बहन मानसी की नजर में शाश्वत
— जब वह गुड्डू खेलता था तो उसे पढ़ाई के लिए प्रेरित करती थी, लेकिन जब खेल में ही लगा रहता था तो फिर उसे खेलने की देते थे।
— होमवर्क करना मुश्किल रहता था। लेकिन छोटे भाई बड़ी बहन का कहना कहां मानते हैंं। बतातीं हैं कि उसे पढ़ाई का अभ्यास कराना मुश्किल रहता था। वह बहुत अच्छा मूवमेंट होता था। लेकिन वह अपने खेल में प्रति समर्पित था।
— मानसी का कहना है कि यदि गीत गाने की ललक हो तो मैं प्रतिदिन प्रैक्टिस नहीं कर सकती, लेकिन शाश्वत के साथ ऐसा नहीं था। वह ऐसा नहीं करता था कि आज खेल लिया, कल नहीं। लेकिन जब उसे खेल के मैदान पर 5 बजे पहुंचना था तो वह साढ़े चार बजे ही उठकर तैयार होकर समय से मैदान पर पहुंच जाता था।
शाश्वत की एक अच्छी बात यह लगती थी और सीखने को मिलता है कि वह अपने प्रोफेशनल का सम्मान करता है। एक बार की घटना सुनाते हुए बताया कि शाश्वत ने गलब्स बाहर बरामदें में सुखाने के लिए रख दिए थे तो वह झाड़ू से सफाई करने लगी, तो झाडू उसके गलब्स में लग गए। तो वह अंदर से एकदम आया ​और बोला कि यह क्या कर दिया तूने। इससे साबित होता है कि अपने काम का सम्मान करता था।
— जैसे बुक गिर जाती है तो उसे सम्मान के साथ उठाते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को जिस फील्ड में जाना है, यदि आपके अंदर अपने कार्य के प्रति लगन है तो काबिल नहीं बनने से रोक सकता है। वे ही आइडियल बनते हैं।
— लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जो पैसे और रुतबे के चलते हुए किसी का सम्मान नहीं करते, वह जमीन से जुड़े नहीं होते। व्यक्ति को हमेशा एक जैसा बना रहना चाहिए।

मां को बेहद गर्व
— माता को अपने बेटे पर गर्व है। उनका सपना है कि शाश्वत देश के साथ उत्तराखंड प्रदेश का नाम रोशन करुंगा।
शाश्वत के परिवार की स्थिति
अंडर—19 में खेल रहे शाश्वत के परिवार में मां—पिता के अलावा एक बड़ी बहन है। बहन मानसी रावत सीए कर रही हैं। मां डॉ नर्मदा रावत पृथ्वीराज डिग्री कॉलेज बहादराबाद में शिक्षिका है। पिता गोपाल सिंह रावत अल्मोडा में शिक्षक है। मूलतया अल्मोडा के ग्राम सदैव, महरगांव के निवासी है।



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