मोबाइल की लत ने महिलाओं को बनाया बीमार और कमजोर, देंखे वीडियो





नवीन चौहान

महिलाओं में लगी मोबाइल की लत उनको अस्पताल तक पहुंचा सकती है। देर रात तक जागना और सुबह देर से उठने के कारण उनकी दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है। जिसके चलते उनमें काफी बीमारियां पनप रही है। हालांकि यह बीमारियां मोबाइल की लत के कारण हुई या किसी ओर कारण से यह तो शोध का विषय है। लेकिन महिलाओं में मोबाइल की लत के चलते शारीरिक कमजोरी जरूर देखने को मिली है। उनको थाइरायड और शुगर सहित तमाम बी​मारियों ने घेर लिया है।


हरिद्वार के रानीपुर मोड़ पर स्थित न्यू देवभूमि अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। अस्पताल में मरीजों की बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के तमाम प्रबंध है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल की तमाम सुविधाएं है। जिसके चलते इस अस्पताल की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। न्यूज127 ने इस अस्पताल की खूबियों को जनता तक पहुंचाने के लिए देवभूमि अस्पताल के निदेशक डॉ सुशील कुमार और फिजिशियन डॉ ऋषभ दीक्षित से बातचीत की। डॉ ऋषभ ने बताया कि हरिद्वार में बेहतर और सस्ती चिकित्सा ​सुविधा इस अस्पताल में मौजूद है। अनुभवी चिकित्सकों की टीम मौजूद है। कोरोना का टीकाकरण किया जा रहा है। 50 बेड की सुविधा है। आईसीयू, जनरल वार्ड, इमरजेंसी,जनरल मेडिसन,सुपर स्पेशिलिटी मे कार्डियोलोजी, न्यूरोलॉजी और न्यूरो सर्जरी ओपीडी की सुविधा भी साप्ताहिक क्रम में की जा रही है। 24 घंटे फार्मेसी, पैथालोजी लैब, एक्सरे, ईसीजी, आईसीयू, एनएसआईयू मेंटीलेटर की सुविधा है। पूर्व सीएमओ डॉ दीपा शर्मा, डॉ सुनीता गुप्ता, डॉ कुलदीप डॉ दिनेश, डॉ हर्षित, डॉ दीपक कुमार स्पाइन सर्जन है। कैश लैश और आयुष्मान कार्ड की सुविधा है। 45 साल से ऊपर के लोगों के वैक्सीनेशन की सुविधा है। डॉ दीपा शर्मा ने बताया कि कोविड के कारण महिलाओं में कोई परेशानी नही हुई है। महिलाओं ने मास्क लगाना शुरू कर दिया है। ब्लड प्रेशर, थायराइड,विटामिन डी और बी की कमी आ रही है। मोबाइल की लत से बीमारी तो शोध से ही पता चल पायेगा। लेकिन महिलाओं के शरीर में काफी कमजोरी देखने को मिल रही है। वैसे बताते चले कि मोबाइल की लत से महिलाओं के साथ—साथ पुरूष भी बीमार और कमजोर होने लगे है। मानसिक रूप से शरीर में थकावट देखने को मिलती है। इस बात को लेकर शोध चल रहा है। कई मनोवैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि भी की है कि मोबाइल खुद एक बीमारी बन चुका है।



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