जल से मिल सकेगा जीवन, वर्षा के पानी को संचित करने के लिए गांव में चलाई मुहिम

Life will be available from water, campaign launched in the village to store rain water


संजीव शर्मा.
कैच द रेन कार्यक्रम जो कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध परिषद के सदस्य मनोहर सिंह तोमर एवं प्रोफेसर आरएस सेंगर ने विभिन्न गांवों का भ्रमण कर लोगों को बरसात के पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए उसके संरक्षण और संचय करने की अपील की।

डॉ सेंगर ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गांव का पानी गांव में एवं खेत का पानी खेत में हार्वेस्ट करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत किसानों को अधिक से अधिक पानी को बचत करने एवं बरसात के पानी को हार्वेस्ट करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने कहा कि तालाबों को खोदकर वर्षा के अतिरिक्त जल का संग्रह किया जाना चाहिए। तालाबों की गहराई अधिक रखकर कम जगह में अधिक पानी संग्रह करने के साथ ही साथ विभिन्न कारणों से होने वाले जल की हानि को भी कम किया जा सकता है। गांव में ही सड़क के किनारे या घर के आसपास खाली पड़ी जमीन पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा कर वर्षा जल का अधिक से अधिक संख्या किया जाना चाहिए एवं अपने खेत के चारों ओर मेढबंदी करके खेत का पानी खेत में ही रोकने की कोशिश की जानी चाहिए जिससे जल स्तर में सुधार होगा और यह पानी भविष्य के लिए उपयोगी होगा।

डॉ सेंगर ने कहा उत्तर प्रदेश में अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में 10 से 12 हेक्टेयर क्षेत्र के वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए लगभग 5 मीटर गहराई तथा 70 मीटर वर्गाकार तालाब उपयुक्त होते हैं। यदि इतनी जगह नहीं है तो छोटे छोटे तालाब आवश्यकता के अनुसार बनाए जा सकते हैं। तालाब बनाने से पहले उस जगह को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। तालाब की खुदाई से पर्याप्त मिट्टी को तालाब की सुरक्षा के लिए तालाब के किनारों से कुछ दूर बांध बनाने के लिए प्रयोग करना चाहिए ताकि यह मिट्टी पानी के साथ बैठकर दोबारा तालाब में ना जा सके। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा के जल को सामूहिक रूप से संग्रह करने का यह एक आसान एवं सबसे सस्ता उपाय है। तालाब के पानी को कृषि के अलावा मछली पालन एवं अनुपयोगी कार्यों के लिए भी किया जा सकता है। तालाबों का उचित प्रबंधन करके वर्षा के जल को संग्रह करके उसको नष्ट होने से बचाने की पूरी कोशिश करनी होगी। तभी हम जल ही जीवन है के शब्दों को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन को बचा सकेंगे।

तालाबों जीवन मिल सके इसके लिए प्रबंध परिषद के सदस्य मनोहर सिंह तोमर ने कहा की भूगर्भ के बर्बादी के चलते काफी गांव डार्क जोन में पहुंच गए थे, जिसके कारण पानी का जलस्तर काफी नीचे होता जा रहा है। इसलिए भूगर्भ को रिचार्ज करने के लिए कैसे धारण अभियान के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर जोर दिया गया। प्रबंध परिषद के सदस्य मनोहर सिंह तोमर ने कहा जिन गांव में तालाब हैं उनका लोगों का सुंदरीकरण कर जल संरक्षण के काबिल बनाया जाए। बरसात में हम सभी को कोशिश करनी चाहिए की तालाबों के खोए हुए रूप फिर से लौटाया जाए। उन्होंने कहा कि तालाबों में बीच में यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगा दिया जाए उससे भूमि में अधिक से अधिक जल जा सकेगा और बरसात के पानी का सदुपयोग हो सकेगा।

इस दौरान जटौली, मुरलीपुर, सिसौली, बढला, कैथवाडा, भगवानपुर, आलमपुर बुजुर्ग आदि गांव के किसानों के बीच जाकर उनको जागरूक किया गया एवं वाटर हार्वेस्टिंग तकनीको अधिक से अधिक लोगों को अपनाने की सलाह दी गई।
इस दौरान गांव के संत पाल, सुनील तोमर, उमाकांत, निमेष तोमर, अनुज, घनश्याम, डॉक्टर पवन कुमार, भूमपाल, प्रेमपाल, मनोज सेंगर, विपिन कुमार, वीरेंद्र, आलोक, अनिरुद्ध, शिवकुमार आदि लोग मौजूद रहे।



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