सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस




नवीन चौहान.
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस गोष्ठी के रूप में मनाया गया। वर्ष 1999 में यूनेस्को द्वारा घोषित 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मातृभाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान और अपेक्षा की गई थी।
21 से 23 फरवरी तक इस दिवस को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने तथा इस अवसर पर मातृभाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया गया था। इस अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के विद्यार्थी वेबिनार से जुडे और उन्होंने वेबिनार में हुए मुख्य अतिथि के रूप में महामहिम उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू शिक्षा मंत्री भारत सरकार डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रह्लाद सिंह पटेल संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री भारत सरकार, संजय धोतरे इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के विचारों को सुना।

इस अवसर पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपने संदेश में कहा की अपनी मातृभाषा,अपनी संस्कृति है। मातृभाषाओं के बल पर ही देश,विश्व में जाना जाता है। हमें अपनी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी मातृभाषाओं को बचाने के लिए प्रयास करना होगा। हमें मातृभाषा को प्रोत्साहन देना होगा। हमें निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद , संगीत , नृत्य आदि आयोजित कर मातृभाषा को बचाने के लिए आगे आना होगा।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ बिपिन चंद्र जोशी ने कहा कि मातृभाषा है तो भारतीय संस्कृति है। इसलिए हमें मान और सम्मान के साथ अपनी भाषाओं को बढ़ावा देना होगा। हमें अपनी क्षेत्रीय भाषाओं को भी बचाने के लिए आगे आना होगा। समाज के सामने लाने के लिए आपको कार्य करना होगा। हमें अपनी मातृभाषाओं में लेख लिखने होंगे। हमें भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के प्रयास करने होंगे। योग शिक्षा विभाग के डॉ नवीन भट्ट ने कहा कि भाषाओं से राष्ट्रीय एकता बढ़ती है। भाषा ही हमें दूर दूर तक जोड़ती है। हमें देश को बचाये रखने के लिए मातृभाषाओं को संरक्षित करना होगा। मातृभाषा ही हमारी उन्नति का मूल है।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डॉ ललित चंद्र जोशी ने कहा कि संचार में भाषाओं का इगदान है। भाषा ही एक दूसरे से जोड़ती है। यदि भाषाओं के संरक्षण के लिए कार्य नहीं किये गए तो संचार बाधित हो जाएगा। इसलिए हमें भाषा के उन्नयन के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने मातृभाषाओं के संबंध में कहा कि मातृभाषों के प्रति हमें झुकाव रखना होगा।
गोष्ठी का संचालन योग के शोधार्थी रजनीश जोशी ने किया।
इस गोष्ठी में रजनीश जोशी, गिरीश अधिकारी, मनोज, दीक्षा आर्या, मनोज पांडे, भावना बिनवाल, रजिया अंसारी, तनुजा आर्या, स्वेता पुनेठा, द्रोपदी बिष्ट, योगेंद्र लटवाल, ज्योति रावत, सपना कार्की, पूजा आर्या आदि शिक्षक, और छात्र एवं छात्राएं मौजूद रही।



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