नवीन चौहान
कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक लगातार शोध में जुटे हैं। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन बाजार में आ जाएगी। हालांकि अधिकतर दवा कंपनियों के अभी ट्रायल ही चल रहे हैं। ऐसे में जब तक दवा नहीं आती कोरोना से बचाव जरूरी है। इसी बीच शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है तो यह जरूरी नहीं है कि वह किसी ओर को संक्रमण नहीं फैला सकता। इसलिए कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट होने के बावजूद व्यक्ति को उतनी ही सावधानियां बरती चाहिए जितनी अन्य लोगों को।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेचर के ताजा अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कई देशों में यह चलन देखा गया है कि लोग ऑफिस जाने, डिनर करने या अन्य आयोजनों में जाने के लिए कोरोना टेस्ट कराते हैं और नेगेटिव रिपोर्ट आने पर निश्चिंत हो जाते हैं। इसी तरह भारत में भी यह देखा गया है कि वीआईपी शादियों एवं समारोहों में कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के आधार पर एंट्री दी जा रही है। यदि कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आती है तो यह मान लिया जाता है कि कोरोना फैलने का खतरा नहीं है, लेकिन यह गलत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेगेटिव रिपोर्ट वाले लोग कोरोना के फैलने का कारण हो सकते हैं। इसके पीछे के कारण का हवाला देते हुए कहा गया है कि कोई व्यक्ति गुरुवार को आरटीपीसीआर टेस्ट कराता है। शनिवार की सुबह उसे नेगेटिव रिपोर्ट मिलती है तथा वह डिनर में शिकरत करता है लेकिन असल में वह कोरोना संक्रमित हो सकता है। निगेटिव रिपोर्ट सिर्फ यह दर्शाती है कि गुरुवार तक उसे कोरोना संक्रमण नहीं था। विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है कि गुरुवार को सैंपल लेने के बाद वह संक्रमित हो जाए। यह भी संभव है कि बुधवार को वह संक्रमित के संपर्क में आया हो। ऐसे में गुरुवार को किए गए टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आएगी।
अन्य कुछ शोधकर्ताओं का भी यही मानना है कि जिस दिन सैंपल लिया गया हो सकता है उसी दिन या उससे एक दो दिन बाद वह किसी के सपंर्क में आकर पॉजिटिव हो जाए। ऐसे में उसके लिए गए सैंपल की रिपोर्ट में निगेटिव ही आएगाा। विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव होने के बावजूद कोरोना के बचाव के उपायों का पालन जरूरी है। इसमें मास्क लगाना, दो गज की दूरी, हाथों को बार-बार धोना आदि प्रमुख है।