तेरा साथ है तो …




दीपक फरसवाण की रिपोर्ट…..
प्रेम के बंधन से बंधे पति-पत्नी के रिश्ते के महत्व को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। अगर जीवनसाथी कंधे से कंधा मिलाकर साथ देता है तो राह में मिलने वाली चुनौतियां धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं और इंसान कामयाबी की नई ऊंचाइयों को छूता चला जाता है। उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, उनकी कामयाबी में उनकी पत्नी गीता धामी का विशेष योगदान रहा है।
यूं तो पुष्कर सिंह धामी में नेतृत्व करने का गुण बचपन से ही रहा, लेकिन वैवाहिक बंधन के बाद उनकी सियासी किस्मत चमकती चली गई। 28 जनवरी 2011 में पुष्कर सिंह धामी का विवाह गीता धामी से हुआ। विवाह होने के कुछ ही महीनों के बाद धामी को भाजपा ने खटीमा विधानसभा क्षेत्र से विधायक का टिकट दिया। चुनाव में जीत हासिल होते ही विधायक धामी बतौर सेवक के रूप में जनता की सेवा में जुट गए। साथ ही उन्होंने खटीमा के विकास का अभियान छेड़ दिया। क्षेत्र में किए गए कार्यों, जनसेवा और समर्पण को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से उन्हें खटीमा का टिकट दिया। एक बार फिर धामी हाईकमान के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से पराजित किया। दोनों विधानसभा चुनावों के दौरान धामी को उनकी पत्नी गीता धामी ने न सिर्फ पूरा सहयोग दिया बल्कि चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने में उनके भी सुझाव अहम रहे। इसी बीच बदली सियासी परिस्थितियों में जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी को अचानक उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी गई। मुख्यमंत्री के पद को मुख्यसेवक के रूप में लेने वाले धामी देहरादून शिफ्ट हो गए। इधर, उनकी पत्नी गीता धामी ने मुख्यसेविका के तौर पर खटीमा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। राजनीति से सीधा वास्ता न होने के बावजूद अब वह पूरी तरह क्षेत्र में सक्रिय हैं। यूं कहा जा सकता है कि पति की जिम्मेदारी का वह बखूबी निर्वहन कर रही हैं। सबसे बड़ी बात है कि गीता धामी सादगी, सरलता और सहजता के साथ जनता के बीच रहती हैं। वह इस बात का पूरा ध्यान रखती हैं कि गलती से भी उनसे किसी नियम–कानून का उल्लंघन न हो। हनक, रौब और रसूख तो उनके व्यवहार में कहीं दिखाता ही नहीं।
अब तक धामी साढ़े चार माह का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने व्यापक जनहित से जुड़े 500 से अधिक फैसले लिये हैं। इनमें से कुछ साहसिक फैसलों से उनके राजनैतिक कद में जबरदस्त इजाफा हुआ है। भविष्य के नेता के रूप में उनकी काबिलियत भी सामने आई है। उन्होंने साबित किया है कि उनमें गजब का जज्बा, समर्पण और दृढ इच्छाशक्ति है। दरअसल, पत्नी गीता धामी की बदौलत ही धामी अपना पूरा समय मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को दे पा रहे हैं। धामी इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि उनकी अर्द्धांगिनी गीता धामी उनके विधानसभा क्षेत्र की देखभाल और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन बखूबी कर रही हैं। देहरादून के बजाए खटीमा में मौजूद रहकर वह जनता का ख्याल रखे हुए हैं। सुख-दुख में वह जनता के साथ खड़े रहने के साथ ही अपने परिवार (सास और दो बेटों) की भी पूरी देखभाल कर रही हैं। अपने विवाह के दौरान धामी के दिमाग में एक चिंता थी कि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए वह सामाजिक कार्य को कैसे गति दे पाएंगे। लेकिन अब वह खुद कई मौके पर कह चुके हैं यह उनका सौभाग्य है कि धर्मपत्नी गीता धामी उनके सियासी भाग्य को जगाने में बड़े सहायक की भूमिका में रहीं हैं। पत्नी उन्हें व्यापक जनहित में साहसिक फैसले लेने के लिए भी प्रेरित करती हैं। इस बात को क्षेत्रवासी भी स्वीकार करते हैं कि विधायक पुष्कर सिंह धामी क्षेत्र में हो या न हों लेकिन उनकी समस्या का समाधान कराने में उनकी पत्नी की पूरी सहभागिता रहती है। वह पूरे सम्मान के साथ अपने घर में क्षेत्रवासियों का स्वागत करती हैं और पीडि़तों की बात सुनकर उनका निराकरण करने का पूरा प्रयास करती हैं। खटीमा में गीता धामी की लोकप्रियता मुख्यमंत्री धामी से कतई कम नहीं है। राजनीति की समझ होने के साथ ही वह शानदार वक्ता भी हैं।



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