जोगेंद्र मावी
उत्तराखंड बोर्ड के राजकीय इंटर काॅलेजों को सीबीएसई से संबद्ध कराने के राज्य सरकार के शिक्षा में सुधार कराने के प्रयास पर हरिद्वार के शिक्षा अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। हरिद्वार जनपद से चार महीने में तीन बार स्कूलों के नाम दिए जा चुके हैं, लेकिन मानकों पर खरे न उतरने पर अब फिर से चौथी सूची को बदलने का काम शुरू कर दिया है। सबसे बड़ी बात तो यह है जो स्कूल शहरी क्षेत्रों में हैं अधिकांश नाम उन्हीं के भेज दे रहे हैं। समय पर सूची उपलब्ध न किए जाने से स्कूलों में सुविधा जुटाने का काम समय पर पूरा न होने से सत्र 2021-22 से शिक्षण कार्य शुरू नहीं हो सकेगा।
प्रदेश के हर ब्लॉक में प्रस्तावित अटल उत्कृष्ट योजना के तहत स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध होंगे। इन स्कूलों में अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों माध्यमों से पढ़ाई कराई जाएगी। प्रदेश में हर ब्लॉक में दो और कुल 190 अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोलने की तैयारी है। उत्तराखंड बोर्ड के राजकीय इंटर काॅलेजों को ही अटल उत्कृष्ट योजना में शामिल किए जाने की शर्त है। हरिद्वार जनपद में 6 ब्लाॅक है और नियमानुसार 12 स्कूल में उच्च गुणवत्ता के सुधार होने तय हुए। इन स्कूलों में आधुनिक लैब, डिजीटल को बढ़ावा देने के लिए कम्यूटर लैब, लाइब्रेरी, खेल मैदान आदि की व्यवस्था होगी। सीबीएसई की पढ़ाई के लिए विषयवार शिक्षक भी नियुक्त किए जाएंगे। हरिद्वार जनपद के अधिकारी तीन बार स्कूलों के नाम भेज चुके हैं। लेकिन जब शासन की ओर से मानक चेक जाते हैं तो यह स्कूलों के बजाय दूसरे स्कूलों के नाम मांग लिए जाते हैं। अब जनवरी महीने में सूची भेजी गई, लेकिन उनमें कई स्कूल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं, तो फिर से नई सूची बनानी शुरू कर दी है।
शहर के स्कूलों पर रहता है फोकस
शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फोकस शहर के बीचोंबीच में चल रहे राजकीय इंटर काॅलेजों पर रहता है। जबकि शहर की प्रत्येक मोहल्ले में सीबीएसई संबदृध बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान हैं। जबकि अटल उत्कृष्ट योजना का उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को उच्च मापदंड की शिक्षा से शिक्षित करने का है। जबकि हरिद्वार जनपद में लालढांग, श्यामपुर, बुग्गावाला, खानपुर के क्षेत्रों पर होना चाहिए।
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक एचपी विश्वकर्मा का कहना है कि अटल उत्कृष्ट विद्यालय योजना के तहत जिन स्कूलों की सूची दी गई थी, वे मानक पूरे नहीं कर पा रहे हैं, अब फिर से नई सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही सूची शासन को भेज दी जाएगी। प्रयास रहेगा कि दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों का उच्चीकरण हो, ताकि ऐसे क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधर सके।