नवीन चौहान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा की अंतरकलह को शांत रखने के लिए दायित्वदाधियों के पदों पर रोक लगाने का मन बना लिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न ना हो इसके लिए फिजूलखर्ची की रोकथाम का फार्मूला निकाला है। जिससे जनता में यह संदेश जाए कि सरकार प्रदेश में दायित्वधारियों के खर्च की रोकने की दिशा में कार्य कर रही है। हालांकि आधिकारिक रूप से किसी ने इसकी पुष्टि नही की है। लेकिन भाजपाई सूत्रों से जानकारी मिली है तीरथ सिंह रावत साल 2022 के चुनावों को मददेनजर रखते हुए कोई रिस्क उठाने को तैयार नही है। वह कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाकर रखना चाहते है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में नियुक्त किए गए तमाम दायित्व छीन लिए गए थे। जिसके बाद से तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिली थी। इसी के साथ तीरथ सिंह रावत के करीबी भाजपा कार्यकर्ताओं को राज्यमंत्री बनने की उम्मीद जगी थी। हालांकि कार्यकर्ताओं को अब इस उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। फिलहाल साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा खुद अपने आप में उलझी हुई है। प्रदेश में चार साल बाद अचानक हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाना और नए मुखिया के तौर पर तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी करने के बाद जनता ने चुप्पी साध ली है। भाजपा की कार्यशैली पर चर्चाओं का बाजार गरम है। इसके बाबजूद भाजपा एक मजबूत संगठन के बल पर साल 2022 के चुनाव में जीत दर्ज करने का दावा कर रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक 60 प्लस का लक्ष्य हासिल करने की बात कर रहे है। ऐसे में भाजपा की चुनौती बरकरार है।