नवीन चौहान
मुख्यमंत्री जी खोल दो कारोबार। बाजारों की रौनक लौटा दो। जनता को खुली आजादी दे दो और दुकानों पर जुट जाने दो ग्राहकों की भीड़। सड़क किनारे पर सजने दो गोल गप्पे की रेहड़ी। महिलाओं को खाने दो चाट पकोड़े। लेकिन आंदोलन करने वाले इन व्यापारियों से गरीब जनता का एक सवाल यह भी पूछ लो कि अगर हवा में फैला कोरोना संक्रमण तो कौन होगा जिम्मेदार। हम जो गरीब है नमक की रोटी भी खा लेंगे। लेकिन आंदोलन करने वाले व्यापारी तो करोड़पति और अरबपति है। महंगे अस्पताल में इलाज भी करा लेंगे। हम तो गरीब लोग है। आयुष्मान कार्ड लेकर ही भटकते रहेंगे। सरकारी अस्पतालों में भी बेड़ नही मिलता तो हमारी रक्षा कौन करेगा। कोरोना को थम जाने दो। कुछ दिन लॉकडाउन लगे रहने दो। हम गरीब है, हमे आराम से घर में सुरक्षित रहने दो। नमक की रोटी में ही खुश है, बस कुछ दिन और जीने दो।
एक गरीब मजदूर ने अपना दर्द न्यूज127 को बताया। मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन से हमको तकलीफ है। कारोबार बंद है। समाजसेवी संगठनों की ओर से राशन किट मिली है। घर में रोटी बन रही है। लेकिन इस बात की खुशी है कि हम अपने परिवार के साथ स्वस्थ है। गरीब मजदूर बोला कि साहब कोरोना बहुत तकलीफ देता है। अस्पताल में तड़पते मरीजों की आवाज कानों में गूंजती है। दिल में दर्द उठता है। आखिरकार यह कैसी बीमारी है। जिसने हमको परेशान करके रख दिया। सरकार परेशान, अधिकारी परेशान है। लेकिन फिर भी हम ठीक है। मजदूर से पूछा गया कि लॉकडाउन खुलना चाहिए या नही। तो मजदूर बोला साहब हमको कौन सा अरबपति करोड़पति बनना है। जिंदा रहेंगे तो मजदूरी कर लेंगे। आपके ही पत्रकार टीवी पर बोल रहे कि तीसरी लहर आयेंगी। बच्चों के लिए खतरनाक होगी। हमको हमारे बच्चे प्यारे है। बस जीने दो हमे।
यह सोच गरीब की थी। अब बात करते है व्यापारी वर्ग की। पिछले एक सप्ताह से सड़कों पर आंदोलनरत है। कभी नेताओं के दरवाजे पीट रहे है। तो कभी सड़कों पर गाल बजाकर ताली थाली पीट रहे है। व्यापारी बाजार को खुलवाने के लिए अपने— अपने तरीकों से प्रयासरत हैं।उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट किया हैं कि जिले में एक सप्ताह तक 5% से कम संक्रमण होने पर बाजार पहले की ही भांति पुर्णतः खोले जा सकेंगे। मतलब सरकार का स्टैंड साफ हैं। कोरोना जायेगा तो बाजार खुलेंगे। सरकार को जनता के सुरक्षित जीवन को लेकर चिंता है। लेकिन व्यापारियों को कारोबार को खोले जाने की जल्दी है।
यहां एक बात गौरतलब है कि हरिद्वार यात्री बाहुल्य पर्यटक स्थल है। पूर्ण बाजार यात्रियों पर ही निर्भर है। हरिद्वार की सीमाएं बंद होगी और रेल बस से यात्रियों की आवाजाही बंद होगी तो बाजार को खोलने का कोई औचित्य नही है।
अभी चार धाम की यात्रा भी बंद हैं। अतः सम्पूर्ण भारत से तीर्थयात्रियों का हरिद्वार आना संभव ही नहीं हैं। ऐसे में होटल,धर्मशाला,भोजनालय एवं ट्रेवल्स कारोबारियों के पास भी काम नहीं होगा। इस स्थिति में सभी गुटों में बंटे व्यापारियों को एक स्वर में सरकार से राहत पैकेज की मांग पुरजोर तरीक़े से उठानी चाहिए।
सभी मिलकर सरकार को बाध्य करें की बिजली, पानी, गृहकर, बैंक लोन,सभी प्रकार के टैक्स एवं स्कूलों कालेजों की फीस पुर्णतः माफ करें यही वर्तमान परिस्थितियों में बाजार खोलने से ज्यादा व्यापारियों के राहत एवं उनके हितों की रक्षा होगी। यदि आम व्यापारी इस बात को अपने अपने स्तर से उठायेगा तभी आर्थिक राहत संभव होगा। बाजार खोलने का निर्णय सरकार के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। सरकार से कर माफी और तमाम छूट की मांग को उठाकर अपने लिए सहायता की मांग करनी चाहिए।