भाजपा को 2022 में सत्ता, मदन का 20 साल पुराना फार्मूला, करेगा चमत्कार





नवीन चौहान
भाजपा को साल 2022 में सत्ता दिलाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक अपने 20 साल पुराने फार्मूले का इस्तेमाल करेंगे या फिर कोई नया दांव चलेंगे। क्या वह जनता से अपने पुराने संबंधों को खंगालते हुए उनके घर—घर पहुंचेंगे। सप्ताह में एक दिन अपने अपने पुराने दोस्तों से फोन पर बात करेंगे। उनके दुख दर्द को जानेंगे। रिश्तों में आई दूरियों को मिटाने का कार्य करेंगे। क्या मदन अपने राजनीति के शुरूआती दौर के व्यक्तित्व को एक बार फिर से निखारने का प्रयास करेंगे। मदन अपने करीबी मकड़जाल से बाहर निकलकर कुछ युवा और उत्साही कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपेगे। मदन कौशिक के नाम की फसल काटने वाले कार्यकर्ताओं को तस्दीक कर उनसे दूरी बनाने में कामयाब हो पायेंगे।
फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा के विश्वास को जीतने की अग्निपरीक्षा से गुजरना है। साल 2022 का चुनाव ही मदन कौशिक के राजनीति के कैरियर की असली अग्निपरीक्षा है। मदन की यह राजनैतिक परीक्षा भी उस घड़ी में है, जब उत्तराखंड की सियासत में नेतृत्व परिवर्तन का बड़ा फेरबदल हुआ है और कोरोना संक्रमण काल में भाजपा से जनता खासी नाराज है। डबल इंजन की सरकार में ईमानदारी से कार्य कर रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने चार साल के बेदाग कार्यकाल के बाबजूद कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है। वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अर्नगल बयान लगातार प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के लिए मुश्किले खड़ी कर रहे है।
ऐसे में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में मदन कौशिक को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के चेहरे के साथ कदमताल करते हुए चुनाव प्रचार करना है। मदन कौशिक को चुनाव प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ईमानदार व्यक्तित्व को भी जनता के बीच में रखना है। मदन कौशिक को त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत को साथ लेकर ही उत्तराखंड की सियायत में अपनी सबसे अहम अग्निपरीक्षा से गुजरना है। जनता के कई अहम सवालों का सामना करना है।
मदन कौशिक राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है। रिश्तों को जोड़ने में उनका कोई सानी नही। चुनावी प्रबंधन में उनको महारथ हासिल है। मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष बनने के सफर में सबसे पहले 2002 में हरिद्वार विधानसभा सीट पर भाजपा हाईकमान ने एक युवा चेहरे मदन कौशिक को टिकट दिया था।
मदन कौशिक ने घर—घर जाकर वोट मांगे। हरिद्वार की जनता को एक मधुर और सौम्य व्यवहार वाला चेहरा पसंद आ गया। जनता ने दिल खोलकर वोट किया और मदन कौशिक को पहली बार विधानसभा भेजा। मदन कौशिक ने हरिद्वार की जनता का धन्यवाद दिया और विधानसभा में हरिद्वार की समस्याओं को मुखरता से उठाया। विधानसभा सत्र में उनकी आवाज खुब सुनाई पड़ी। मदन चर्चाओं में आने लगे और हाईकमान ने उनको गंभीरता से लिया। जिसके बाद भाजपा हाईकमान की कृपा दृष्टि उनपर कायम हूुई। साल 2007, 2012, 2017 में व चौथी बार हरिद्वार विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। साल 2007 और 2019 में उनको केबिनेट मंत्री बनाया गया। मदन ने अपनी काबलियत को साबित किया और केबिनेट मंत्री बनने के दौरान मुख्यमंत्री के सबसे करीबी बने रहे। यह बात भाजपा के उनके करीबियों को रास नही आई। भाजपा में ही उनके कई धुर विरोधी हो गए। लेकिन हाईेकमान का दिल जीत चुके मदन कौशिक की ताकत बढ़ती जा रही थी। मदन का सियासी सफर ऊंचाईयां छू रहा था। मदन सत्ता में मगरूर थे। वही हरिद्वार में उनके विश्वासपात्र करीबी दूर होते जा रहे थे। मदन कौशिक के पास कुछ चुनिंदा लोगों का घेरा था। जो मदन के नजदीक किसी को जाने नही देता था। मदन की जयजयकार के नारे लगवाकर उनको झूठी तसल्ली ​देते रहे। वही दूसरी ओर हरिद्वार में लगातार मदन की छवि खराब होती जा रही थी। उनके करीबी ही मदन के नाम का सहारा लेकर अनैतिक कार्यो में लिप्त हो गए। मदन के सियासी सफर में मोड़ तब आया जब नेतृत्व परिवर्तन हो गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से विदाई हुई तो मदन कौशिक को केबिनेट मंत्रीपद छोड़ना पड़ा।
भाजपा हाईकमान ने मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर एडजस्ट कर दिया। मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड की सियासत में एक बड़ा रिस्क उठाया। पहाड़ और तराई की लड़ाई में मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर साल 2022 का चुनाव किसी चुनौती से कम नही है। फिलहाल मदन कौशिक सबसे पहला काम अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन लाने का कर रहे है। वह पुराने संबंधों को खंगालेंगे। रिश्तों की डोर को मजबूत करेंगे। त्रिवेंद्र और तीरथ का हाथ थामकर मदन साल 2022 की परीक्षा से गुजरेंगे। वैसे यहां बताने के लिए यह भी जरूरी है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अहम भूमिका को नजरअंदाज करना भाजपा की भूल साबित होगा। उनकी ईमानदारी ही भाजपा की जीत का कारण बन सकती है। त्रिवेंद्र की सादगी, सरलता और चार साल के विकास के कार्य भाजपा को सत्ता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। कुल मिलाकर साल 2022 के चुनाव में त्रिवेंद्र है जरूरी का नारा ही भाजपा को सत्ता तक पहुंचा सकता है। क्योकि वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बेहद सरल इंसान है। मुख्यमंत्री की कुर्सी के दांव पेंच समझने के लिए उनके पास बेहद कम वक्त है। विभागीय कार्यो की समीक्षा भी अभी ठीक से नही हो पाई है। ऐसे में मदन को त्रिवेंद्र का आशीर्वाद लेकर ही अग्निपरीक्षा में उतरना होगा।



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