भागवत कथा मुक्ति का सोपानः विश्वेश्वरानंद गिरि




योगेश शर्मा.
हरिद्वार। श्री चेतनानंद आश्रम कनखल के ब्रह्मलीन श्रीमहंत स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का आज शोभायात्रा के साथ श्री गणेश हुआ। शोभायात्रा आश्रम से आरम्भ होकर नगर भ्रमण के पश्चात चेतनानंद आश्रम में आकर सम्पन्न हुई।

शोभायात्रा का शुभारम्भ श्री सूरत गिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने किया। शोभायात्रा आश्रम के महंत स्वामी रामानंद गिरि महाराज की अगुआई व स्वामी कृष्णानंद गिरि महाराज के संयोजन में निकाली गयी। शोभायात्रा की शोभा में सिर पर कलश रखे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने चार चांद लगाए।
शोभायात्रा की समाप्ति के पश्चात श्रीमद् भागवत कथा का आरम्भ किया गया। आश्रम के महंत स्वामी रामानंद गिरि महाराज व उनके गुरुभाई स्वामी कृष्णानंद गिरि महाराज ने व्यास पीठ की पूजा कर कथा व्यास स्वामी विश्वस्वरूपानंद गिरि महाराज को विराजमान कराया।

इस अवसर पर अपने आशीर्वचन देते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहाकि श्रीमद् भागवत कथा मुक्ति का सोपान है। कथा के श्रवण मात्र से जन्म-जन्मातंरों के पापों का क्षय हो जाता है। आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रामानंद गिरि महाराज ने कहाकि गुरु ही परमात्मा रूप होता है। जो मार्ग गुरुदेव स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज ने उन्हें बताया उसी का वे संतों की कृपा से अनुसरण कर रहे हैं। स्वामी कृष्णानदं गिरि महाराज ने भागवत कथा श्रवण करने आए सभी श्रद्धालुओं को बड़भागी बताते हुए कहाकि भगवान की लीलाओं का संतों के मुखारविंद से श्रवण करना पूर्व जन्मों के पुण्यों का फल है। उन्होंने कहाकि संत के श्रीमुख से, संतों के सानिध्य में, गुरु स्थान पर, गंगा के तट पर और तीर्थनगरी में कथा का श्रवण पुण्यात्मों को ही प्राप्त होता है।

कथा व्यास स्वामी विश्व स्वरूपानंद गिरि महाराज ने भागवत कथा का रसपान कराते हुए भगवान की अनेक लीलाओं का वर्णन किया। कथा व्यास ने वेदव्यास व शुकदेवजी के संवाद का वर्णन करते हुए कहाकि भागवत कथा अज्ञान रूपी अन्धकार का नाश करने के लिए करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश रूपी ज्ञान से सम्पन्न हैं। तथा समस्त प्राणियों को कल्याण पहुँचाने वाली हैं। उन्होंने राजा परीक्षित की कथा को भी विस्तार से बताया।
इस अवसर पर स्वामी आनन्द पुरी महाराज, देवेन्द्र शुक्ला समेत अनेक दूर दराज से आए भक्तगण मौजूद रहे।



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