एडोेक्रेसी विश्वविद्यालय हित में नहीं, जल्द हो नियमित कुलपति की नियुक्ति: डॉ. ध्यानी




विजय सक्सेना.
वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ‘जनरल बिपिन रावत डिफेन्स टैक्नोलॉजी लैब’ का विधिवत् उद्घाटन दिनांक 18 जून, 2022 को प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा, विश्वविद्यालय परिसर में, किया गया।

देश के पहले सीडीएस स्व. जनरल बिपिन रावत के सम्मान में स्थापित यह लैब आधुनिक हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर्स की सुविधाओं से लैस है, जो तकनीकी व रक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे छात्र छात्राओं और शोधार्थियो को नया ज्ञान व तकनीकियों के सृजन करने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही साथ, इस आधुनिक लैब में सेना के अधिकारियों व अन्यों को आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स, मशीन लर्निंग, ड्रोन टैक्नोलॉजी और रोबोटिक्स आदि में प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

लैब उद्घाटन समारोह में कुलपति डॉ. पीपी ध्यानी ने कहा कि उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग के क्षेत्र में तथा तकनीकी सुधार के लिए पिछले 17 वर्षो से निरन्तर प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि पिछलें 15 महीनों में जब से उन्होंने कुलपति का कार्यभार ग्रहण किया है, इस विश्वविद्यालय ने राज्य में सबसे पहले लाईव ऑनलाईन परीक्षाओं का संचालन किया और अपने शैक्षणिक सत्र को नियमित किया।

विश्वविद्यालय ने सबसे पहले देश में एक राज्य विश्वविद्यालय के रूप में आर्मी डिजाईन ब्यूरो व आर्ट पार्क (आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स एण्ड रोबोटिक्स टैक्नोलॉजी पार्क) के साथ समझौता किया। विश्वविद्यालय ने सबसे पहले राज्य में डिजी लॉकर-नेशनल एकेडेमिक डिपोज्ट्री में सम्पूर्ण उपाधियों को संरक्षित किया। इन महत्वपूर्ण कीर्तिमानों को स्थापित करने के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।

उद्घाटन समारोह के अवसर पर डॉ. ध्यानी नें राज्य में स्थित इंजीनियरिंग व तकनीकी संस्थानों और विश्वविद्यालय से सम्बन्धित कुछ समस्याओं से मा0 तकनीकी शिक्षा मंत्री जी को अवगत कराया, जिनका निराकरण करने के लिए मंत्री जी द्वारा विश्वविद्यालय को पूर्ण भरोसा दिया गया।

कुलपति डॉ. ध्यानी ने राज्य में स्थित विश्वविद्यालयों के समन्वित विकास को सुनिश्चित किये जाने हेतु भी कुछ सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में तदर्थ व्यवस्था नहीं अपनाई जानी चाहिए। व्यक्ति विशेष को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। एडोेक्रेसी/तदर्थ व्यवस्था/काम चलाऊ व्यवस्था को तुरन्त समाप्त किया जाना चाहिए। डॉ. ध्यानी ने यह भी कहा कि यूटीयू, जो की राज्य में तकनीकी शिक्षा हेतु एक मात्र विश्वविद्यालय है, में राज्य सरकार को तुरन्त नियमित कुलपति की नियुक्ति करनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि यदि वे एक नियमित कुलपति को कार्य हस्तांतरण करेंगे तो उन्हें बेहद प्रसन्नता और आत्मीय खुशी होगी। डॉ. ध्यानी ने यह भी अवगत कराया कि राज्य में अलग-अलग विश्वविद्यालयों के अलग-अलग अधिनियम हैं और इनमें सभी राजकीय ‘कुलपतियों की शक्तियां और कर्तव्य’ का भी वर्णन है। विशेष अधिकार यथा ‘यदि कोई ऐसा अत्यावश्यक मामला हो……तो कुलपति ऐसी कार्यवाही कर सकता है, जो वह ठीक समझे’, अधिनियमों में यह व्यवस्था ठीक नही है। इसको भी समाप्त किया जाना चाहिए, ऐसी उनकी व्यक्तिगत राय है।

यह उल्लेखनीय है कि राज्य में डॉ. ध्यानी एकमात्र ऐसे कुलपति हैं जो अपने ज्ञान और वृहद अनुभव के आधार पर, हर उच्च मंच पर, बहुत ही स्पष्टता और बेबाकी से अपनी बात कहते हैं। डॉ0 ध्यानी एक प्रख्यात वैज्ञानिक और शिक्षाविद् हैं, जिनके 305 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रकाशन है, जिनमे 05 नीति दस्तावेज (पॉलिसी डॉक्यूमेन्टस) भी शामिल हैं। उन्हें केन्द्र सरकार में राष्ट्रीय निदेशक के रूप में और राज्य में स्थित 03 विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में कार्य करने का वृहद अनुभव है।



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