सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य’दिव्य’की नई पुस्तक का विमोचन




 नवीन चौहान
पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ की पुस्तक ‘शास्त्रोक्त नव छंद श्री 108’ का विमोचन शिक्षाविदों, साहित्यकारों और कविता प्रेमियों के बीच एसएमजेएन पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार डॉक्टर अशोक मिश्रा और डॉक्टर हरिनंदन ने संयुक्त रूप से किया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ अशोक मिश्रा ने कहा कि ज्वाला प्रसाद जी द्वारा रचित लगभग 30 पुस्तकें समाज को एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं। उनकी नव रचित पुस्तक शास्त्रोक्त नवछंद श्री 108 पिरामिड हिंदी काव्य क्षेत्र में एक नवीनतम प्रयास है। यह विधा अभी गिने-चुने लोगों ने ही अपनाई है और इसमें ज्वाला प्रसाद जी के दो शिष्य नीता नैयर एवं बीएचईएल से सेवानिवृत्त हुए जगदीश शर्मा ‘शेषी ने पिरामिड कविता की शैली को आगे बढ़ाने का प्रशंसनीय कार्य किया है। प्रसिद्ध कवि रमेश रमन ने अमीर खुसरो और अन्य कवियों जैसे केशवदास द्वारा रचित अंगद रावण संवाद, रविंद्र नाथ ठाकुर के महाकाव्य की चर्चा की।
विशिष्ट अतिथि डॉ हरिनंदन ने कहा कि ज्वाला प्रसाद जी की शैली अद्भुत है । अंग्रेजी के कवि बेन जॉनसन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि स्टाइल इस द मैन अर्थात लिखने की शैली ही इंसान को उसकी अपनी पहचान देती है और ज्वाला प्रसाद जी का पूरा जीवन जो साहित्य को समर्पित है। उनकी इस पिरामिड काव्य की व्याकरण सहित शैली से और रचनाकार लाभान्वित होंगे। हिंदी काव्य को एक नया रूप देने में वे सफल हुए है। उन्होंने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साथ वर्षों पहले किया गया एक साक्षात्कार का अनुभव भी साझा किया।
साहित्यकार नीता नैयर ने कहा ये विधा फेसबुक पर पहले से चल रही थी, पर शास्त्र सम्मत विधान से लिखने व प्रसारित करने का काम ज्वाला प्रसाद जी के हाथों हुआ । इस विधा में उत्तराखंड से छपने वाली यह तीसरी पुस्तक है। इस विधा पर पहली पुस्तक शेषी जी की थी। दूसरी पुस्तक के रचनाकार नीता नय्यर, शेषी जी व शांडिल्य जी संयुक्त रूप से थे । इस अवसर पर साहित्यकार डॉ राधिका नागरथ, साहित्यकार रमेश रमन ,नीता नैयर ,जगदीश शर्मा शेषी को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अंग्रेजी लेखिका, चिंतक, विचारक, साहित्यकार, इतिहासकार, पत्रकार डॉ राधिका नागरथ ने कहा कि साहित्यकार का जीवन बहुत कष्ट भरा और संघर्षों वाला होता है। साहित्यकार समाज का दर्पण होता है, जो समाज में घटता है, वह उसे अपने साहित्य में अपने दिव्य शैली के साथ प्रस्तुत करता है। उन्होंने पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य को आधुनिक प्रेमचंद की संज्ञा दी। इस अवसर पर डॉक्टर नरेश मोहन, एलपी सिंह, ब्रह्मदेव शांडिल्य पाइन क्रेस्ट स्कूल के प्रधानाचार्य समेत गणमान्य नागरिक साहित्यकार उपस्थित थे ।



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