नवीन चौहान
उत्तराखंड पुलिस के पुलिसकर्मियों को जल्द ही गृह जनपद में डयूटी करने का अवसर मिलेगा। जिसके बाद पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यधर्म के साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी कर सकेंगे। कांस्टेबलों को बुजुर्ग मां-बाप और सास ससुर के पास रहकर उनकी सेवा करने का सौभाग्य भी मिल सकेगा। पुलिसकर्मियों के हितों के लिए संघर्ष कर रहे हरिद्वार के अधिवक्ता अरूण भदौरिया की ओर से इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को पत्र दिया है। संभावना जताई जा रही कि इस संबंध में जल्द ही शासनादेश जारी किया जा सकता हैं।
हरिद्वार के अधिवक्ता अरूण भदौरिया विगत कई सालों से पुलिस हितों के लिए संघर्ष कर रहे है। उत्तराखंड से पलायन को रोकने की दिशा में एक बेहतर प्रयास करते हुए अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने पुलिस कांस्टेबलों की गृह जनपद में तैनाती को लेकर एक पत्र उत्तराखंड सरकार और पुलिस मुख्यालय को दिया था। इस पत्र का संज्ञान लेते हुए पुलिस मुख्यालय की ओर से पहाड़ी क्षेत्रों के नौ जनपदों में पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, चमोली, उत्तरकाशी व रूद्रप्रयाग के पुलिस विभाग में नियुक्त सभी संवर्गो के मुख्य आरक्षी व आरक्षी को उनके गृह जनपद में स्थानांतरण करने के आदेश जारी कर दिए गए थे। लेकिन अन्य तीन जनपद अल्मोड़ा, पौड़ी गढ़वाल और टिहरी को शामिल नहीं किया गया था। इन तीन जनपदों को भी गृह जनपद में तैनाती का लाभ देने के लिए अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने एक बार फिर पुलिस मुख्यालय को पत्र दिया है। पत्र में अधिवक्ता अरूण भदौरिया की ओर से बताया कि जिन छह जनपदों में पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण किया गया है वहां पुलिसकर्मियों के अपेक्षाकृत बेहतर परिणाम आए है। पुलिसकर्मियों को किसी प्रकार का कोई मानसिक तनाव दिखाई पड़ने की कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है। ऐसे में अन्य तीन जनपदों को शामिल कर पुलिसकर्मियों को राहत प्रदान की जाए।अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने बताया कि मई 2018 में इन तीन जनपदों की गृह जनपद में तैनाती को लेकर पत्र पुलिस मुख्यालय को दिया गया था। जब पुलिस मुख्यालय से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी की गई तो पता चला कि इस पत्र के संबंध में कार्रवाई प्रचलित है।