उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल ने गोली मारकर की आत्महत्या




नवीन चौहान, हरिद्वार।

उत्तराखंड पुलिस के जवान ने शनिवार की सुबह खुद गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या किन कारणों से की इसका पता नहीं चल पाया हैं। कांस्टेबल विजीलेंस ऑफिस में गारद में तैनात था। सूत्रों से जानकारी मिली है कि चंद्रवीर मानसिक रूप से परेशान चल रहा था।
कांस्टेबल चंद्रवीर देहरादून विजीलेंस ऑफिस मे गारद में तैनात था। शनिवार की सुबह सरकारी असहले से गारद रूम में चंद्रवीर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। कांस्टेबल चंद्रवीर के आत्महत्या करने से पुलिस महकमे में शोक की लहर दौड़ गई। एडीजी एलओ अशोक कुमार ने चंद्रवीर के आत्महत्या करने की पुष्टि की। बताते चले कि चंद्रवीर हरिद्वार जनपद में तैनात था। यहां भी उसकी मनोदशा ठीक नहीं थी। हरिद्वार की तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोहरा ने चंद्रवीर की मानसिक हालत को ठीक करने के लिए काफी अथक प्रयास किये। एसपी सिटी ममता वोहरा ने एक मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा से चंद्रवीर की काउंसलिंग कराई। डॉ मुकुल शर्मा ने काफी हद तक चंद्रवीर की बीमारी को समझ लिया था। उन्होंने उसे प्रेरणा दी और जीने की इच्छा को जाग्रत भी किया। यही कारण रहा कि चंद्रवीर इतने लंबे समय तक खुद को बचाकर रख पाया। लेकिन आखिरकार चंद्रवीर का डिप्रेशन उसपर हावी हो गया। चंद्रवीर ने खुद की जिंदगी को समाप्त करने का खौफनाक निर्णय ले लिया। पता चला कि चंद्रवीर ने कुछ महीने पूर्व देहरादून के डोईवाला में अपना मकान तक बना लिया था। जहां उसकी पत्नी और एक बच्ची व मां पिता रहते थे। चंद्रवीर को परिवार का पूरा सहयोग था। लेकिन मानसिक रूप से कमजोर हो चुके चंद्रवीर ने जीने की चाहत छोड़ दी थी। फिलहाल चंद्रवीर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है।
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चार पुलिस कांस्टेबलों की मौत बन गया एक रहस्य
मानसिक तनाव के चलते उत्तराखंड पुलिस के चार कांस्टेबलों की मौत एक रहस्य बन गई हैैं। चारों दोस्तों ने अलग-अलग तरीके से सुसाइड किया हैं। लेकिन पुलिस महकमे में मानसिक तनाव से ग्रस्त होने की वजह साफ नही हो पाई हैं। हालांकि हरिद्वार की तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोहरा ने कांस्टेबल चंद्रवीर को मानसिक तनाव से उबारने के लिये मनोवैज्ञानिक की डॉ मुकुल शर्मा की मदद ले रही है। मनोवैज्ञानिक मुकुल शर्मा और एसपी सिटी ने चंद्रवीर और उसके परिवार से बातचीत कर चंद्रवीर की मनोदशा के बारे में बताया था। चंद्रवीर ने अपने दिल की कुछ बात मनोवैज्ञानिक को बताई थी। जिसके बाद चंद्रवीर के आचार विचार में सकारात्मक परिणाम आने लगे थे। पुलिस अधिकारियों को पूरी उम्मीद थी कि चंद्रवीर को मानसिक तनाव से बाहर निकालकर मानसिक तौर पूरी तरह से स्वस्थ बना लेंगे। लेकिन चंद्रवीर का तनाव उसके दिमाग पर हावी हो गया। और इस कहानी का आखिरी किरदार भी दुनिया छोड़ गया।

पुलिस महकमे के चार कांस्टेबल हरीश, जगदीश विष्ट, विपिन सिंह भंडारी और चंद्रवीर की गहरी थी। चारों नौजवान युवक साल 2012 में पुलिस महकमे में भर्ती हुये। चारों ने पुलिस महकमे का कठिन प्रशिक्षण हासिल किया। चारो ने विशेष दक्षता हासिल की। पुलिस प्रशिक्षण में निपुण होने के बाद पुलिस ड्यूटी में कर्तव्यनिष्ठा और व्यवहार से पुलिस अफसरों का दिल जीत लिया। लेकिन एकाएक चारों दोस्त मानसिक तनाव के दौर से गुजरने लगे। चारों मानसिक तनाव में पहुंचे इस बात की भनक किसी पुलिस अफसर को नहीं लगी। जब पहली घटना कांस्टेबल हरीश की संदिग्ध परिस्थितियो में मौत के रूप में सामने आई। पुलिस ने शव को बरामद किया। लेकिन मौत का रहस्य बरकरार रहा। हरीश का शव एक सरिये में इस तरह अटका मिला मानों फांसी लगाई गई है। उसके बाद दूसरे दोस्त जगदीश बिष्ट ने सिडकुल में अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस अफसरों को उसके कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। तब भी पुलिस महकमा इसे जगदीश बिष्ट की मानसिक परेशानी के तौर पर देखने लगा। लेकिन अचानक तीसरे दोस्त विपिन सिंह भंडारी के फांसी लगाने के बाद पुलिस की सीधी नजर चौथे दोस्त चंद्रवीर पर गई। पुलिस अफसरों को पता चला कि चंद्रवीर मानसिक तनाव से गुजर रहा है। उसको बाकायदा आराम करने के लिये अवकाश दिया गया है। तब तीन दोस्तों की मौत की चर्चा पुलिस महकमे की सबकी जुबां पर आ गई। इसी चंद्रवीर की जिंदगी को बचाने के लिये हरिद्वार की एसपी सिटी ममता वोहरा ने मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा का सहयोग लिया। एसपी सिटी ममता वोहरा ने चंद्रवीर और उसके परिजनों से बातचीत की। मनोवैज्ञानिक की बात चंद्रवीर और परिजनों की कराई। चंद्रवीर को अकेला नहीं छोड़ने की सलाह दी गई। उसके दिलों दिमाग में अच्छी बातों का प्रभाव डालने की कोशिश की गई। चंद्रवीर के दिल की बातों को समझने का प्रयास किया गया।
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उत्तराखंड पुलिस के चार कांस्टेबलों की मौत आत्महत्या या इक्तेफाक
हरिद्वार। मित्र पुलिस के चार दोस्तों की मौत आत्महत्या है या एक इक्तेफाक ये हर किसी की समझ से परे है। चारों दोस्तों में घनिष्ठ मित्रता थी। चारों मित्रों से एक साथ खाकी वर्दी पहनी। कानून का अक्षरश अनुपालन कराने की शपथ ली। मित्रता, सेवा और सुरक्षा का संकल्प लिया, लेकिन उसके बाद जो हुआ किसी की भी रूह कंपा सकता है। तीन दोस्तों से एक फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जबकि चौथे दोस्त चंद्रवीर ने मानसिक अवसाद से गुजरने के बाद शनिवार को खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। हालांकि पुलिस अधिकारियों की ओर से चंद्रवीर को बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए। उसे इलाज के लिए काफी अवकाश दिया गया। लेकिन अनहोनी को कोई टाल नही सकता है। ऐसा की कुछ चंद्रवीर के साथ हुआ। आज वो हमारे बीच नहीं है। लेकिन कई अनसुलझे सवाल जस कके तस है। आखिर इन चार दोस्तों की मौत एक रहस्य ही बनी रहेगी।
हरिद्वार जनपद में क्यूआरटी के तैनात कांस्टेबल विपिन सिंह भंडारी ने उत्तरी हरिद्वार के अंचल आनन्द धाम के कमरा नम्बर 227 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। विपिन सिंह भण्डारी पुत्र नंदन सिंह भण्डारी बैंक कालोनी, मोथरोवाला, देहरादून मूल रूप से पौड़ी का रहने वाला था। विपिन भंडारी अपने कमरे में बेल्ट से फंदा बनाकर लटक गया था। सूचना पर पहुंची पुलिस को कमरे से कोई सुसाइट नोट नहीं मिला। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। विपिन भंडारी के आत्महत्या के कारण स्पष्ट नही हो पाए। दूसरा मित्र विपिन 2012 में पुलिस में भर्ती हुआ था। विपिन भंडारी के साथ उसके तीन दोस्त जगदीश बिष्ट, हरीश और चंद्रवीर भी उसी साल 2012 में पुलिस ट्रैनिग ले रहे थे। इन चारों में गहरी दोस्ती हो गई। चारों दोस्तों ने पुलिस महकमें में अपनी कर्तव्यनिष्ठा से अलग पहचान बनाई। अब जिक्र करते हैं इन दोस्तों की दर्दनाक मौत की दास्तां का। हरीश का शव सिंहद्वार और प्रेमनगर आश्रम पुलिया के पास एक सरिये से लटका हुआ मिला। जबकि हरीश की बाइक सड़क किनारे खड़ी हुई थी। पुलिस हरीश की मौत से पर्दा नहीं उठा पाई। संभावना जताई गई की हरीश ने आत्महत्या की है। इसी के साथ दूसरे दोस्त जगदीश बिष्ट की कहानी भी मिलती-जुलती है। जगदीश ने सिडकुल में अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या की। जगदीश मानसिक तनाव से ग्रसित था। ये बात उसकी मौत के बाद परिजनों को पुलिस को बताई। दो दोस्तों की मौत की गुत्थी का रहस्य बना हुआ था की तीसरे दोस्त विपिन भंडारी ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तीसरे दोस्त के बाद चौथे दोस्त चन्द्रवीर की बात करते हैं। चंद्रवीर की मनोदशा ठीक नहीं बताई जा रही थी। जब तीन पुलिस कांस्टेबलों की सुसाइड करने पर तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोहरा का ध्यान आकर्षित हुआ तो तीनों के पुलिस रिकार्ड को खंगाला गया। तीनों के मित्रों की पड़ताल की गई तो एसपी सिटी ममता वोहरा का ध्यान सीधा चंद्रवीर की ओर गया। कांस्टेबल चंद्रवीर के बारे में पता किया गया तो उसकी मनोदशा भी बिगड़ी हुई मिली। एसपी सिटी ममता वोहरा ने तत्कालीन एसएसपी कृष्ण कुमार वीके के निर्देशों पर देहरादून के मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा से चंद्रवीर की काउंसलिंग कराई। इसके अलावा पूरे जनपद में पुलिस कांस्टेबलों को अपनी बात रखने के लिए मंच दिया गया। सीसीआर में आयोजित डॉ मुकुल शर्मा की क्लास में कांस्टेबलों ने खुलकर अपनी समस्याओं को बताया। लेकिन इस दौरान भी चंद्रवीर को डॉ मुकुल शर्मा और एसपी सिटी ममता वोहरा अलग से मिलते थे और उसकी बात को सुनते थे। चंद्रवीर की मनोदशा सुधरनी शुरू हो गई थी। लेकिन पुलिस महकमे में एकाएक तबादलों के बाद एसपी सिटी ममता वोहरा देहरादून चली गई। जबकि चंद्रवीर का तबादला विजीलेंस में हो गया। विजीलेंस में चंद्रवीर ने आत्महत्या कर ली और कई अनसुलझे सवालों को हवा दे दी।
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सिजोफीमिया बीमारी से ग्रस्त था चंद्रवीर
कांस्टेबल चंद्रवीर का इलाज कर रहे मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा ने बताया कि चंद्रवीर सिजोफीमिया नामक बीमारी से जूझ रहा था। लेकिन करीब ढाई महीने से उनके संपर्क कम हो पा रहा था। पूर्व में लगातार संपर्क में रहने के दौरान उसकी मनोदशा ठीक होने लगी थी।

 



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