नवीन चौहान, हरिद्वार। सर्दी के मौसम में उत्तराखण्ड की खूबसूरत वादियां और प्रकृति का सौंदर्य अपनी अनुपम छटा बिखेर रहा है। पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी और बादलों के बीच घने कोहरे की चादर ओढ़े पेड़-पौधे और जंगली जीव-जंतु बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। आप यदि घुमने का मन बना रहे हैं तो मेरे प्यारे उत्तराखण्ड की वादियों की सैर करो। यहां देवभूमि में भगवान के दर्शन और प्रकृति के अलौकिक सौंदर्य का आनन्द उठा सकते हैं।
भारत के सबसे खूबसूरत राज्य उत्तराखण्ड के सौंदर्य में ऐसी कुछ बात तो अवश्य है, जिस कारण देवताओं ने इसे अपना बनाया। देवताओं के निवास करने के कारण ही इस उत्तराखण्ड की भूमि को देवभूमि कहा गया। जब देवताओं को उत्तराखण्ड का सौंदर्य अपनी ओर आकर्षित कर सकता है तो जानिए उत्तराखण्ड की प्राकृतिक छटा कैसी होगी। उत्तराखण्ड को देवताओं ने अपना निवास व तप स्थान बनाया वहीं विदेशी भी बरबस ही उत्तराखण्ड की ओर आकर्षित होने से नहीं बच पाए। इसके सौंदर्य को देखकर कई विदेशी यहां आए और यहीं के होकर रह गए। आज भी प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी यहां मानसिक शांति की तलाश में आते हैं। उत्तराखण्ड में आपको प्रकृति का वह उपादान मिलेगा जो विश्व में कहीं ओर नहीं है। यहां पहाड़ों से गिरते झरने, पेड़-पौधे, मंदिरों की श्रंखला, नदियों का कलरव करता बहता हुआ जल। यहां की बोली, खान-पान व वेशभूषा सब अपनी ओर बरबस ही आकर्षित करती हैं। इतना ही नहीं यदि ध्यान लगाकर एकांत में गंगा के तट पर बैठा जाए तो यहां आज भी गंगा में कल-कल बहते जल में कबीर के दोहे, सूर के पद, तुलसी की चौपाईयों की मधुर आवाज सुनी जा सकती है। यहां से निकलकर बहने वाली जीवनदायिनी नदियां उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य को तो बढ़ाती है बल्कि देश के जिस हिस्से से होकर गुजरती है वहां जीवनदायिनी बनकर लोगों का भला कर रही हैं। उत्तराखण्ड जहां प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है वहीं यह लोगों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखता है। यहां जड़ी-बूटियां का तो अपार भण्डार है ही यहां के पेड़-पौधे प्रदूषण को नियंत्रित करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। इस बार भी 65 प्रतिशत प्रदूषण को उत्तराखण्ड के पेड़-पौधों ने समाप्त करने का कार्य किया है।
उत्तराखण्ड हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है। यदि आप प्रकृति प्रेमी है। तो इससे अच्छा स्थल और कोई आपके लिए नहीं हो सकता। यदि आप रोमांच के शौकीन है तो यहां आपका राफ्टिंग व स्कैटिक में स्वागत है। यदि आप धार्मिक विचारों से ओतप्रोत है। तो यहां ध्यान के अनेक केन्द्र है। इतना ही नहीं पौराणिक मंदिर तो यहां स्थान-स्थान पर मिलेंगे। रमणीक स्थलों की बात करें तो किसी स्थान विशेष को रमणीक बताना गलत होगा। सम्पूर्ण उत्तराखण्ड जो गढ़वाल और कुमांऊ दो मण्डलों में विभक्त है, की छवि रमणीक है। यहां आने के बद आपको अनुमप आनन्द की अनुभूति प्राप्त होगी। उत्तराखण्ड को स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है। स्वर्ग को सबसे सुंदर कहा गया है। इसी बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस स्वर्ग का द्वार उत्तराखण्ड को कहा जाता है तो उस द्वार की सुंदरता कैसी होगी। इसलिए यदि आप घुमने के संबंध में विचार कर रहे है। तो उत्तराखण्ड से बेहतर और कोई स्थान नहीं हो सकता। यही कारण है कि आधुनिक लोग यूं ही उत्तराखण्ड के औली को मिनी स्वीटजरलैंड नहीं कहते है।