नवीन चौहान
उत्तराखंड सरकार के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज जिस प्राथमिक विद्यालय के पोलिंग बूथ में वोट देने गए वो बंद हो चुका है। जब मंत्री जी ने स्कूल के बंद होने का कारण लोगों से पूछा तो पता चला कि स्कूल के बच्चे और परिवार पलायन कर गए है। जिसके बाद से मंत्री जी को उत्तराखंड के पलायन को लेकर चिंतित दिखाई पड़े। अपनी इस चिंता को उन्होंने प्रेस वार्ता करके जाहिर भी किया और सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और ठोस कदम उठाने की नसीहत तक दे डाली। ऐसे में सवाल उठता कि सतपाल महाराज तो खुद दो साल से उत्तराखंड सरकार में केबिनेट मंत्री है। मीडिया पलायन के मुद्दे को लगातार उठा रही है। ऐसे में आपने ठोस प्लान बनाकर सरकार के सामने क्यो नही रखा।
उत्तराखंड सरकार के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज चुनावी जनसभाओं को संबोधित करने के बाद हरिद्वार में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। वह पत्रकारों को अपने आगामी स्टार प्रचारक के तौर पर होने वाली जनसभाओं की जानकारी दे रहे थे। इस दौरान सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के सबसे बड़ी समस्या पलायन बताई और अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वह जिस बूथ पर वोट देने गए थे वो प्राथमिक विद्यालय बंद हो गया। बच्चे पलायन कर गए। जबकि आसपास के तीन विद्यालय बंदी की कगार पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि बड़ी गंभीर समस्या है। इसके लिए ठोस और प्रभावशाली कदम उठाने होंगे। रोजगार पैदा करना होगा। लोगों के बंद मकानों को स्टे होम विकसित किया जाए। पर्यटन विभाग उनको संचालित करेंगा। आपके मकान की हिफाजत भी होगी। इसी के साथ उन्होंने सरकार को नसीहत भी दी कि पलायन के लिए सरकार को गंभीर होना होगा। हालांकि दो साल से सरकार में केबिनेट मंत्री का दायित्व संभाल रहे सतपाल महाराज के इस मुद्दे को अचानक हवा देना और अपनी ही सरकार को नसीहत देकर कठघरे में खड़ा करना सियारत का ही एक अलग रंग दिखाई पड़ रहा है। अन्यथा सतपाल महाराज खुद पहाड़ से जुड़े है उन्हें तो पलायन के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और खुद ही ठोस कदम उठाने चाहिए।