अभिभावकों के सपनों का स्कूल बनाने में पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित का अथक परिश्रम




नवीन चौहान
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर के पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने मेहनत और लगन से स्कूल को शिखर पर पहुंचाया। हरिद्वार के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में शामिल कराया। हरिद्वार के अभिभावकों के सपनो का स्कूल बनाने के पीछे पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित के एक दशक का अथक परिश्रम है। जिन्होंने दिन—रात स्कूल को ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिए मेहनत की। सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक​ विषम परिस्थितियों में स्कूल हित को पहली प्राथमिकता दी। सभी शिक्षक—शिक्षिकाओं और कार्यालय स्टॉफ को साथ लेकर स्कूल के हित में निर्णय किए। यही कारण है कि डीएवी स्कूल वर्तमान में 3800 बच्चों को संस्कार बनाने में जुटा है।


डीएवी प्रबंधकृत समिति नई दिल्ली ने 31 मार्च 2010 को हरिद्वार डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर के प्रधानाचार्य पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पीसी पुरोहित जी को दो थी। करीब दो हजार बच्चों की संख्या वाले स्कूल में तमाम आधुनिक सुविधाओं का अभाव था। स्कूल कई कानूनी लफड़ों में उलझा हुआ था। लेकिन पीसी पुरोहित जी ने प्रधानाचार्य पद की कुर्सी को प्रणाम कर स्कूल को अग्रणी बनाने के लिए अपने आप से दृढ़ संकल्प किया। एक विजन लेकर आगे बढ़े और स्कूल के भवन, खेलकूद मैदान, कंप्यूटर लैब व तमाम सुख सुविधाओं के संसाधनों को जुटाने की व्यवस्था बनाई। स्कूल के सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं और स्टाफ को सातवे वेतनमान का लाभ दिलाया। जिससे सभी में उत्साह का संचार हुआ। पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी ने डीएवी स्कूल को आगे बढ़ाने के लिए वृहद कार्ययोजना तैयार की। जिसके बाद उसको पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी और तन्मयता से लग गए। स्कूल की अर्थव्यवस्था को पूरी पारदर्शिता के साथ रखा। पीसी पुरोहित जी ने स्कूल में खुद को समर्पित कर दिया। स्कूली बच्चों को प्रेरणादायक भाषणों से ऊर्जावान बनाकर रखा। अभिभावकों की समस्याओं को बारीकी से सुनना और उनको दूर करना पहली प्राथमिकता के तौर पर रही।  स्कूली बच्चों को आदर्श छात्र बनाने के लिए वक्त की महत्वता बताना कभी नही भूले। पीसी पुरोहित जी वक्त के बेहद पाबंद रहे। निर्धारित वक्त पर कार्य करना उनको पसंद था। स्कूल की साफ—सफाई पर उनका सबसे ज्यादा फोकस रहता था। सुबह सबेरे पांच बजे उठकर स्कूल का भ्रमण करना और जिस स्थान पर गंदगी हो उसको साफ कराना उनका पहला कार्य था। जिसके बाद पेड़ पौधों के खाद पानी की व्यवस्था देखना। तत्पश्चात नियमित समय पर स्कूल में शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित कराना। कक्षाओं का निरीक्षण करना। बच्चों से मिलना और उनकी बातों को सुनना। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी की नियमित दिनचर्या में शामिल रहा।

करीब एक दशक के भीतर प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बेहद शानदार तरीके से सफल संचालन कराया। इस दौरान बच्चों की ​प्रतिभाओं को निखारने के लिए उनमें प्रेरणादायक भाषणों से उत्साहबर्धन किया। स्कूल तरक्की की राह बढ़ता चला गया। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने अपने खराब स्वास्थ्य की कभी परवाह नही की। लेकिन स्कूल से जुड़े सभी सदस्यों को अपने परिवार का सदस्य मानते हुए उनके दुख तकलीफों को दूर करने का कार्य किया। पिता श्री घनानंद पुरोहित और माता जाहनवी जी के बताए आदर्शो का अनुसरण करते हुए पीसी पुरोहित एक सामान्य इंसान से एक आदर्श और कर्तव्यनिष्ठ प्रधानाचार्य के रूप में स्थापित हो गए। उनकी सादगी और सरलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंसान हो या पशु, पक्षी एवं पेड़ पौधे सभी का दर्द वह बखूवी समझते थे। मानवीय संवदेनाओं से पूरिपूर्ण एक भावुक प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित अपने आदर्शो के लिए सदैव याद किए जाते रहेंगे। यही कारण है कि उनके विदाई अवसर पर स्कूल के सभी शिक्षक—शिक्षिकाओं की आंखों नम दिखाई ​दी। डीएवी स्टॉफ का उनके प्रति सम्मान सभी की नम आंखों में दिखाई दिया। किसी शिक्षक ने अपने पिता के रूप में तो किसी ने बड़े भाई के रूप में प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी से आशीर्वाद लिया। विदाई के वक्त प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने सभी शिक्षकों, शिक्षिकाओं को संस्था के प्रति समर्पण भाव से कार्य करने का भाव व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि स्कूल के कारण ही एक शिक्षक को समाज में सम्मान मिलता है। शिक्षक आदर्श हो तो बच्चे उनका अनुसरण करते है। ऐसे में संस्था और स्कूल सर्वोपरि रखकर ही कार्य करना चाहिए।



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