नवीन चौहान
हरिद्वार के नामी संत और निरंजनी अखाड़े के श्री महंत आशीष गिरी ने खुद अपनी लाईसेंसी पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आशीष गिरी ने दारागंज स्थित अखाड़े के मुख्यालय में खुद को गोली मारी। मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नही हुआ है। अखाड़ा के संतों के मुताबिक लीवर की गम्भीर बीमारी से आशीष गिरी जूझ रहे थे। उनकी मौत की खबर से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई।
17 नवंबर 2019 की सुबह निरंजनी अखाड़े के महंत आशीष गिरी आयु करीब 45 साल ने प्रलागराज में पिस्टल से खुद को गोली मार ली। घटना की खबर मिलते ही डीआईजी, एसपी सिटी समेत फॉरेंसिंक टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने आसपास का बारीकी से निरीक्षण किया। धर्मगुरुओं का कहना है कि वह अपनी बीमारी को लेकर काफी परेशान रहते थे। उनका लिवर खराब हो गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी भी मौके पर पहुंच गए। खबरों में बताया जा रहा है कि आज सुबह ही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने आशीष गिरी से फोन पर बात की थी। उन्हें नाश्ते के लिए मठ में बुलाया था। फोन पर आशीष गिरी ने कहा था कि वह स्नान करने के बाद आ रहे हैं। कुछ देर बाद जब वह नहीं आए, तब मठ के लोग उनके आवास पर गए। दूसरी मंजिल पर बने कमरे का दरवाजा खुला था। नीचे जमीन पर बिस्तर पर खून से लथपथ आशीष गिरी का शरीर पड़ा था। उनके हाथ में पिस्टल थी। बताया जा रहा है कि आशीष गिरी हाई ब्लड प्रेशर और पेट की बीमारी से परेशान थे।