नवीन चौहान
उत्तराखंड प्रदेश का खजाना खाली हैं। प्रदेश का खजाना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। करीब दो दशक से इस प्रदेश में वैसे तो सैंकड़ो भ्रष्टाचार के मामले प्रकाश में आए हैं। लेकिन दस बड़े भ्रष्टाचार ऐसे है, जिन्होंने उत्तराखंड को पूरी तरह से खोखला कर दिया। उत्तराखंड के काबिल पत्रकारों ने अपनी कलम से भ्रष्टाचारों के तमाम खेल से परदा उठाया। देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट और चेतन गुरंग सरीखे पत्रकार अपनी लेखनी से सरकारों की समय-समय पर पोल खोलते रहते हैं। इस पत्रकारों की कलम से लिखी गई खबर सरकार को हिलाने का दम रखती हैं। ये पत्रकार अपनी ईमानदार छवि के कारण उत्तराखंड ही नहीं देश में भी विशिष्ट पहचान रखते हैं। दो दशकों से इन पत्रकारों ने उत्तराखंड के कई भ्रष्टाचार उजागर किए जो वर्तमान सरकार के गले की फांस बने हुए है। भ्रष्टाचार के इन मामलों की जांच चल रही हैं। जबकि कुछ भ्रष्टाचार की फाइले सरकारी महकमों में धूल फांक रही है। हालांकि ये कुल दस बड़े भ्रष्टाचार ही नहीं है। जिन्होंने उत्तराखंड को कर्ज में डुबाया हो। दो दशक के भीतर सैंकड़ों मामले अनियमिताओं के हैं। बुजुर्गो की पेंशन से लेकर वन विभाग के कई घोटाले है। जो सरकार की कमजोर इच्छा शक्ति के चलते कागजों में दफन होकर रह गए हैं। सोचने वाली बात ये है कि क्या इन दो दशकों में उत्तराखंड के किसी नेता के मन में ये बात नहीं आई कि इस राज्य का भला किया जाए। जल, जंगल जमीन की बात करने वाले तमाम जन प्रतिनिधि बस कुर्सी पाने की हसरत लिए सियासत कर रहे हैं।
1-उत्तराखंड का सबसे चर्चित एनएच-74 घोटाला। इस घोटालों में धन की खूब बंदरबांट हुई। उत्तराखंड के जनपद उधमसिंह नगर राज्य में इस भ्रष्टाचार की पटकथा तैयार हुई। तत्कालीन एसडीएम डीपी सिंह ने जहां जमीन के मुआवजे में खेल किया। इस खेल में नेताओं, नौकरशाहों और सरकारी पटवारियों ने खूब बटोरा। आज मुकदमा दर्ज चल रहा हैं।
2-उत्तराखंड का छात्रवृत्ति घोटाला। इसमें एससी-एसटी छात्र-छात्राओं को शिक्षित करने के नाम पर छात्रवृत्ति की रकम को खूब डकारा गया। करीब आठ सौ करोड़ से अधिक के इस घोटाले में निजी कॉलेजों की नींद उड़ी हुई है। समाज कल्याण विभाग की मदद से निजी कालेजों ने सरकारी धन की खूब बंदरबांट की। अब इस प्रकरण की जांच एसआईटी कर रही हैं।
3- दारोगा भर्ती घोटाला। पुलिस महकमे में दारोगा की भर्ती करने के दौरान भ्रष्टाचार हुआ। वरिष्ठ पत्रकार चेतन गुरंग ने दारोगा भर्ती घोटाले को उजागर किया। जिसके बाद इस घोटाले की जांच हुई। तत्कालीन डीजीपी प्रेम दत्त रतूड़ी को हटाया गया। और वरिष्ठ आईपीएस राकेश मित्तल पर गाज गिरी। तत्कालीन देहरादून अमर उजाला के हेड चेतन गुरंग ने इस खबर को प्रकाशित किया था।
4-सिडकुल की जमीनों का घोटाला। उत्तराखंड बनने के बाद सिडकुल की स्थापना के लिए चेहेतों को औने-पौने दामों में जमीन दी गई। इन जमीनों को देने के लिए नियमों की अनदेखी की गई। तत्कालीन सरकारों ने इस भ्रष्टाचार पर अपनी जेब खूब गरम की। लेकिन ये भ्रष्टाचार बस चुनावी मुद्दे तक सीमित रहा। किसी पार्टी ने इसकी तह मे जाने का प्रयास नहीं किया।
5-पटरी भर्ती घोटाला। प्रदेश में पटवारियों की भर्ती के नाम पर घोटाला किया गया। वरिष्ठ पत्रकार चेतन गुरंग ने जब इस खबर को प्रकाशित किया तो तत्कालीन पौड़ी डीएम पर गाज गिरी।
6- सिडकुल एलडी घोटाला। साल 2004-05 में सिडकुल बनाने के लिए तत्कालीन सरकार ने जमीनों की बंदरबांट की गई। नियम कानून को ताक पर रखकर अपने चहेतों को जमीन दे दी गई।
7-वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार घोटाला। उत्तराखंड में बेरोजगारों युवकों को ऋण की राशि में 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई। इस ऋण की 25 प्रतिशत की रकम डकारने के लिए प्रदेश के अमीरजादे खुद को गरीब बताने लगे। खुद वर्तमान में भाजपा के विधायक प्रदीप बत्रा की पत्नी ने भी खुद को बेरोजगार बताने से गुरेज नहीं किया।
8 जल विद्युत घोटाला, इस घोटाले में देहरादून के वरिष्ठ पत्रकारों ने खबर प्रकाशित कर सरकार को नींद से जगाया तो तत्कालीन सरकार को 55 जल विद्युत परियोजनाओं को रद्द करना पड़ा था।
9-आबकारी नीति घोटाला, होमयोपैथी चिकित्सा भर्ती घोटाला।
10-सिडकुल एलडीको घोटाला करीब 400 सौ करोड़ का रहा। इस घोटाले में शामिल एमडी को हटा दिया गया था। जिसकी फाइन आज भी सरकारी दफ्तरों में धूल फांक रही है।