प्रशासनिक अधिकारियों के लिए मुसीबत पैदा कर रहे कुछ लोग, स्टूडेंट और स्कूल भ्रमित




गगन नामदेव
कोरोना संक्रमण काल के संकट की घड़ी में सरकार और प्रशासन के लिए कुछ लोग मुसीबत का सबब बन रहे है। सरकार और प्रशासनिक तंत्र के मुश्किले खड़ी कर रहे है। प्रशासनिक अधिकारी तमाम विषम परिस्थितियों में सभी व्यवस्थाओं को बखूवी चलाने का प्रयास कर रहे है। लेकिन कुछ लोग अपनी धींगा मस्ती के चलते प्रशासन की राह में रोढ़ा अटका रहे है। प्रशासन को झूठी शिकायतें भेजकर उनका बेशकीमती वक्त खराब कर रहे है। इन सबके बावजूद प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है। प्रशाासन जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में प्रयासरत है। कुछ असामाजिक तत्वों के कारण सभी लोगों के हितों को प्रभावित नही किया जा सकता है। जी हां कुछ लोगों के कारण प्रशासन को परेशानी तो हो सकती है लेकिन सिस्टम को बनाए रखने के लिए सभी के हितों को ध्यान में रखकर कदम उठाए जा रहे है। ऐसा ही एक झूठी शिकायत और प्रशासनिक अधिकारियों के परेशानी का प्रकरण बुधवार को संज्ञान में आया।
उत्तराखंड के शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने प्रदेश के तमाम जनपदों के स्कूलों में लंबित गृह परीक्षाओं को कराने के निर्देश जारी किए थे। उनके निर्देशों का अनुपालन करते हुए हरिद्वार जनपद के मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज ने जनपद के सभी निजी स्कूलों को सोशल डिस्टेंसिंग और सरकार की गाइड लाइन का पालन करते हुए गृह परीक्षाओं को सकुशल संपन्न कराने की अनुमति जारी कर दी। जिसके बाद कुछ निजी स्कूलों ने परीक्षा संपन्न कराने के लिए तिथि घोषित कर दी और परीक्षा की तैयारी में जुट गए। निजी स्कूलों की ओर से परीक्षा तिथि को लेकर मुख्य शिक्षाधिकारी को परीक्षातिथि के संबंध में पत्र भी दे दिया। इसी बीच कुछ लोगों ने 31 मई तक स्कूल बंद होने का हवाला देते हुए शिकायतों का सिलसिला शुरू कर दिया। इसी दौरान केिसी ने शिक्षा विभाग को एक स्कूल में परीक्षा होने की सूचना दे दी। इस सूचना के बाद मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज ने शिक्षा विभाग की एक टीम स्कूल में निरीक्षण के लिए भेज दी। शिक्षा विभाग की टीम जब स्कूल पहुंची तो स्कूल पूरी तरह से बंद था और वहां की सभी व्यवस्थाएं ठप थी और लॉक डाउन के नियमों का पालन किया जा रहा था। जब टीम ने परीक्षा के संबंध में जानकारी की तो स्कूल प्रधानाचार्य ने बताया कि मुख्य शिक्षाधिकारी के आदेश के कंपार्टमेंट परीक्षाओं को कराने की अनुमति के लिए ​मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय में पत्र दिया गया है। अभी किसी प्रकार की कोई गतिविधियां संचालित नही है। शिक्षा विभाग की टीम बैरंग लौट आई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि कोरोना संक्रमण की घड़ी में व्यस्त प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इस प्रकार का मजाक किसने किया। परीक्षा कराने की झूठी सूचना किसने दी और किस मंशा से दी। ये तमाम सवाल जस के तस है। लेकिन सबसे अहम बात ये है कि जब मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ आनंद भारद्वाज ने गृह परीक्षाओं को कराने के निजी स्कूलों को आदेश दिया था तो फिर इस आदेश के मायने क्या रहे। अगर परीक्षा नही करानी है तो आदेश को निरस्त क्यो नही किया गया। सभी स्कूल और तमाम स्टूडेंट और अभिभावकों को भ्रम की स्थिति में क्यो रखा जा रहा है।



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