एसआईटी चीफ मंजूनाथ टीसी के नाम से घबराते है कॉलेज संचालक




नवीन चौहान
एसआईटी चीफ डॉ मंजूनाथ टीसी के नाम से ही छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त रहने वाले तमाम कॉलेज संचालक खौफ खाते है। कुछ कॉलेज संचालकों के तो सपनो में भी मंजूनाथ टीसी ही दिखाई पड़ रहे है। एसआईटी चीफ ने समाज कल्याण विभाग के भ्रष्ट अधिकारी को जेल की चार दीवारी के दर्शन तो करा दिए। समाज कल्याण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने निजी कॉलेज संचालकों से सांठगांठ कर खुली डकैती डाली। डकैती की रकम की बंटरबांट की गई। लेकिन एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी के निर्देशन में निष्पक्षता से की जा रही विवेचना में एक के बाद एक कई कारगुजारिया उजागर हो रही है। पुख्ता सबूतों के आधार पर ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है। जिसके चलते भ्रष्टाचारियों के दिलों की धड़कने बढ़ गई है और आंखों से नींद गायब हो चुकी है।
उत्तराखंड में इन दिनों छात्रवृत्ति घोटाले की फाइल खुली हुई है। जिसकी चर्चा प्रदेश में चारों तरफ हो रही है। उत्तराखंड के निजी कॉलेज के संचालकों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी धन की खूब बंदरबांट की। साल 2011-12 से लेकर साल 2016-17 तक कॉलेज संचालकों की चांदी रही। कॉलेज संचालकों की रसूकदारी का ग्राफ भी तेजी से आगे बढ़ा। लाखों की बेशकीमती गाडि़यां और किराये के कमरों में संचालित होने वाले कॉलेज वर्तमान में आलीशान बिल्डिंग में तब्दील हो गए। लेकिन समाजसेवी की शिकायत और हाईकोर्ट से गुहार के बाद जब इस घोटाले की फाइल खुली तो सभी भौच्चके रह गए। धोखाधड़ी के इस खेल से परदा उठाने के लिए एसआईटी गठित की गई। जिसकी कमान युवा आईपीएस डॉ मंजूनाथ टीसी को दी गई। आईपीएस मंजूनाथ टीसी ने छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का परिचय दिया और विवेचना की दिशा तय की। जब निजी कालेज संचालकों और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने एसआईटी को सहयोग नही किया तो विश्वविद्यालय से कॉलेजों की कुंडली मंगवाई गई। करीब 1700 पन्नों की कुंडली को खंगाला गया और छात्रवृत्ति की रकम से मिलान किया गया। एक-एक कॉलेज के एक-एक विद्यार्थी के फोन नंबर से लेकर पढ़ाई करने और परीक्षा देने के विवरण का परीक्षण किया। केस की विवेचना आगे बढ़ी तो कॉलेज संचालकों के साथ-साथ तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर भी लपेटेे में आ गए। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी के सवालो के जवाब देने में नाकाम अनुराग शंखधर को आरोपी बनाया गया और जेल की राह दिखलाई गई। इस केस की विवेचना जो-जो आगे बढ़ रही है कि कॉलेज संचालकों में दहशत का माहौल बना हुआ है। फिलहाल तो हरिद्वार के रूड़की के ही आरोपी जेल पहुंचे है लेकिन जल्द ही देहरादून के बड़े मगरमच्छों का नंबर भी आने जा रहा है। सबसे बड़ी और अहम बात कि एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी पूरी ईमानदारी के साथ इस केस की विवेचना करने में लगे है। किसी प्रकार का राजनैतिक दबाव उनपर नही है। इससे एक बात तो साफ है कि आने वाले दिनों में इन अपराधियों पर संकट गहराने वाला है। हालांकि एसआईटी ने इस बात की पुष्टि की है कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ करके छात्रों का भौतिक सत्यापन कराये बिना ही छात्रवृत्ति की धनराशि प्राप्त की गई। इसी के साथ जिला समाज कल्याण अधिकारी हरिद्वार ने शासनादेश का उल्लघंन करते हुए साल 2014 से पूर्व छात्रवृत्ति की धनराशि को सीधे कॉलेज के खातों में स्थानांतरित कराई गई। जबकि छात्रवृत्ति की राशि छात्रों के खातों में जानी चाहिए थी।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *