नवीन चौहान
हरिद्वार। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डा पीपी ध्यानी, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर, बादशाहीथौल में आयोजित कार्यक्रम स्वामी रामतीर्थ के 114वें निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। इस अवसर पर डा ध्यानी ने स्वामी रामतीर्थ के व्यक्तिव व कृतित्व के बारे में अवगत कराया और उनके द्वारा किस तरह से पूरी दुनिया में भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति और वेदों को आचरण में लाने की विद्यावों का प्रचार प्रसार किया गया के बारे में बताया। उन्होंने स्वामी रामतीर्थ के गढ़वाल भ्रमण के बारे में तथा टिहरी को उनकी तपो भूमि बनने के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया। डा0 ध्यानी ने यह भी बताया कि उनके एक उद्वरण/कोट (फनवजम) ने उन्हें कैसे, कार्य द्वारा सफलता प्राप्त करने हेतु, प्रोत्साहित किया।
डा ध्यानी ने कहा कि सफलता प्राप्ति के लिए सबसे पहले हर व्यक्ति को प्रत्येक दिन अपने द्वारा किये गये कार्याें का रात्रि विश्राम से पहलेे आत्म चिंतन करना चाहिए कि आज उन्होंने क्या-क्या कार्य किए। क्या वें उनसे संतुश्ट हैं, क्या उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन किया आदि। आत्म चिंतन करने से मनुश्य को नयी दिषा मिलती है और नयी रूचि का विकास होता है, शरीर में उत्साह भी बढता है और सकारात्मक उर्जा का प्रवाह भी, और फिर मनुष्य में दृढ़ इच्छा शक्ति का विकास होता है। इसके बाद सारी मानसिक शक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये झुका देना चाहिए। इस तरह, हर व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है, और अपने समाज तथा राष्ट्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान सुनिश्चित कर सकता है।
इस अवसर पर डा ध्यानी द्वारा एसआरटी परिसर के निदेशक एवं शिक्षकों को यह सुझाव भी दिया गया कि उन्हें स्वामी रामतीर्थ के व्यक्तित्व और कृतित्व को और चिरस्थाई बनाने के लिए उनके जीवन दर्शन को पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए और उनके जीवन के विभिन्न आयामों को शोध हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए। हर वर्ष विश्वविद्यालय परिसर में स्वामी रामतीर्थ व्याख्यान की शुरूआत करनी चाहिए।
कार्यक्रम का आयोजन स्वामी रामतीर्थ फाउंडेशन तथा एसआरटी परिसर, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर परिसर के निदेशक प्रो. एए बोडाई, प्रो एमएमएस नेगी, डा केसी पेटवाल, डा प्रेम बहादुर, प्रो सुबोध कुमार, प्रो डीके शर्मा, डा लाखी राम डंगवाल, डा आरबी गोदियाल, ठाकुर भवानी प्रताप सिंह आदि उपस्थिति रहे।