नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल में स्कूली बच्चे मोबाइल एक्पर्ट बन चुके है। स्कूली बच्चे मोबाइल के हर फन में माहिर हो चुके है। यू—टयूब पर अपलोड बच्चों की वीडियो प्रतिभा का बखान कर रही है। बच्चे कलात्मक प्रतिभा की वीडियो अपलोड कर रहे है। बच्चों की किताबों से दूरी भी बढ़ चुकी है। स्कूल खुलने के कोई आसार दूर—दूर तक नजर नही आ रहे है। कोरोना अपने चरमकाल की अग्रसरित हो रहा है। अभिभावकों की परेशानी बढ़ती जा रही है। वही स्कूल संकट के दौर से गुजर रहे है। शिक्षक अपने बच्चों की गतिविधियों को यू—टयूब पर देखकर चिंतित है।
भारत का भविष्य अर्थात बच्चों को शिक्षित करने का सबसे बड़ा माध्यम स्कूल है। स्कूल के माहौल में शिक्षक की मौजूदगी में ही जाने वाली पढ़ाई ही बच्चों के मन मस्तिष्क के द्वार खोलती है। शिक्षक की प्यार से मिलने वाली डांट भी बच्चों को किताबों के नजदीक लाती है। इसीलिए स्कूलों को शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र माना गया है। लेकिन भारत में कोरोना संक्रमण के प्रवेश करने के बाद स्कूल के दरवाजे अनिश्चित काल के लिए बंद हो गए है। बच्चों को शुरूआती दौर में तो बेहद आनंद आया। लेकिन करीब छह माह की घर की कैद अब उनकी मुसीबत बन गई। इन छह माह के भीतर स्कूलों ने बच्चों को किताबों के नजदीक लाने के लिए आन लाइन पढ़ाई का रास्ता निकाला तो बच्चों के हाथों में मोबाइल आ गया। बच्चों को मोबाइल मिला तो गूगल गुरू भी मिल गए। गूगल गुरू ने बच्चों को उनकी प्रतिभा के जौहर दिखलाने का अवसर प्रदान किया। बच्चों ने भी मोबाइल पर खुलकर हाथ आजमाए। प्ले स्टोर की मदद से साप्टवेयर अपलोड किया और वीडियो बनानी शुरू कर दी। जिसके बाद अपने मित्रों को शेयर किया जाने लगा। स्कूली बच्चे अपनी डांस और तमाम गतिविधियों की वीडियो बनाकर यू टयूब पर अपलोड कर रहे है। ऐसे में अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम भी देखने को मिलेंगे। जिसके लिए अभिभावकों को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।