डॉक्टर सलोनी ने दिया 820 ग्राम के बच्चे को नया जीवन




नवीन चौहान, हरिद्वार। डॉक्टर को धरती पर भगवान का दर्जा दिया गया है। डॉक्टर अपनी मेहनत और लगन से दूसरों की जिंदगी को बचाने का पूरा प्रयास करता है। ऐसा ही एक कारनामा हरिद्वार की महिला चिकित्सक सलोनी बस्सी मसोन ने कर दिखाया है। सात माह में जन्म लेने वाली 820 ग्राम वजन के बच्चे का जीवन बचाने के लिये 28 दिनों तक डॉक्टर सलोनी और उनकी टीम ने संघर्ष किया। आखिरकार मेहनत रंग लाई और बच्ची की जिंदगी को बचाने का प्रयास सफल रहा। चिकित्सकों ने नवजात और उसकी मां को नया जन्म दिया है।
डाक्टर सलोनी बस्सी मसोन भूमानंद अस्पताल में बतौर चिकिसक कार्यरत है। इसी अस्पताल में 14 अगस्त को सलेमपुर निवासी रिहान अहमद ने अपनी गर्भवती पत्नी सानिया को गंभीर अवस्था में भर्ती कराया। सानिया बहुत सीरियस कंडीशन में थी। ऐसी स्थिति में बच्चे का बचना तो नामुमकिन था लेकिन सानिया का जीवन भी खतरे में था। डॉक्टर सलोनी बस्सी मसोन ने दर्द से कराह रही गर्भवती सानिया और उसके गर्भ को बचाने की ठान ली। जिसके चलते डॉक्टर सलोनी और उसकी टीम ने आपे्रशन की तैयारी शुरू कर दी। सानिया का तत्काल आप्रेशन किया गया और गर्भ को सकुशल बाहर निकाल गया। सानिया का नवजात सात माह का था। जिसका वजन महज 820 ग्राम था। मां को बचाने के बाद इस नवजात की जिंदगी बचाने की नई चुनौती सामने खड़ी हो गई। नवजात बेहद कमजोर स्थिति में था। डॉ सलोनी और उनकी टीम ने नवजात को आर्ब्जरवेशन में रखा फेफड़ों में इंजेक्शन लगाया। तथा कई दवाईयां दी गई। करीब 28 दिनों तक सलोनी व उसकी टीम ने नवजात को बचाने का प्रयास करती रही। आखिरकार चिकित्सकों की जीत हुई। नवजात पूरी तरह से ठीक है। नवजात को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है। नवजात को सकुशल पाकर उसके मां बाप की खुशी का ठिकाना नहीं है। वह बार-बार चिकित्सकों का आभार व्यक्त कर रहे है।



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