गगन नामदेव
हरिद्वार में रक्षा बंधन पव की तैयारियां जोर—शोर से चल रही है। ज्वालापुर के बाजार ग्राहकों से गुलजार है जबकि हरिद्वार के बाजार सूने पड़े है। कोरोना संक्रमण का प्रभाव रक्षा बंधन पर्व पर भी पड़ा है। गत वर्षो की अपेक्षा करीब 10 से 15 फीसदी ग्राहकों ने बाजार से दूरी बनाई है। ग्राहकों की आर्थिक स्थिति का प्रभाव साफ दिखाई पड़ रहा है। ग्राहक सिर्फ आवश्यकता का सामान ही खरीद रहे है। जबकि अपनी इच्छाओं का दमन कर रहे है।
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसलिए इसे कई जगह राखी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस बार के रक्षाबंधन में सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है। राखी बांधने के समय भद्रा नहीं होनी चाहिए। 3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है। राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा. दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है। इसके बाद शाम को 7 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9.30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है.
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इस बार राखी से पहले बाजारों में कोई रौनक दिखाई नहीं दे रही है। लोग ऑनलाइन शॉपिंग करके और घर में मिठाई बनाकर कोरोना काल में त्योहार की तैयारियों में जुटे हैं। हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह त्योहार बहुत ही महत्व रखता है. राखी का त्योहार भाई और बहन के प्यार का प्रतीक है. रक्षाबंधन पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण काल में आया ये रक्षा बंधन पर्व कुछ फीका सा नजर आ रहा है। कोरोना में एहतियात की वजह से लोग भी अपने घरों से निकलते हुए झिझक रहे हैं। इसी वजह से लोगों ने त्योहार का फीकापन दूर करने के साथ-साथ घर के बच्चों के लिए यह त्योहार मनाने के कुछ विकल्प ढूंढ निकाले हैं। ज्वालापुर के दीप जनरल स्टोर के स्वामी सन्नी ने बताया कि उनके पास विभिन्न प्रकार की राखियां है। चंदन, फैंसी डोरे, फैंसी राखी, स्टोन, चंदन, लुंबे और स्टोन की राखियां बहनों को ज्यादा पसंद आ रही है। 20 रूपये से लेकर 250 रूपये तक की राखियां है। महिलाएं अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए अपनी पसंद की ही राखियां ले रही है। हालांकि बाजार में गत सालों की तुलना में ग्राहक कम है।