नई शिक्षा नीति: नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण डॉ ध्यानी




ब्यूरों

पिछले एक दशक के दौरान भारत में शिक्षा के क्षेत्र में मात्रात्मक वृद्धि हुई है.संस्थानों की संख्या बढ़ी है। अधिक छात्रों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ है। अधिक पद सृजित हुए हैं और सबसे ऊपर इसके लिए अधिक धन आवंटित हुआ है। लेकिन यह गुणात्मक विकास में तब्दील नहीं हो पाया है। यह भी सोचना होगा कि विश्व के बेहतरीन 200 शैक्षिक संस्थानों में उच्च शिक्षा के किसी भी एक भारतीय संस्थान का शामिल न हो पाना भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक खतरे की घंटी है। स्पष्ट तौर पर भारत में शिक्षा के कायाकल्प की जरूरत थी। यह नेतृत्व की भयंकर कमी से जूझ रहा था जहां संस्थान अधिक आवंटन को बेहतर नतीजों में परिवर्तित नहीं कर पा रहे थे। अमरीका में स्कूलों में किये गये सुधारों के संबंध में की गई पहलों की समीक्षा करते हुए राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जो विचार प्रकट किये थे। वे भारत पर भी लागू होते हैं। हर समस्या का समाधान किसी न किसी जगह पर किसी न किसी ने पहले ही कर रखा है। हमारी हताशा का कारण यही लगता है कि नेतृत्व कि कमी के कारण हम इन समाधानों को लागू नहीं कर पा रहे हैं।
आधुनिक विश्व में राजनीतिक नेतृत्व करने वालों में दूरदर्शिता और संकल्प के साथ ही विषयों की व्यापक समझ होनी चाहिए। विवेकानंद और कलाम के महान व्यक्तित्व बनने के पीछे उनका असाधारण ज्ञान भी एक कारण था। भारत को उच्च शिक्षा में बेहतर अकादमिक प्रशासनिक और राजनीतिक नेतृत्व की शिद्दत से दरकार रही है क्योंकि जिन राजनीतिक व्यक्तित्वों का ज्ञान एवं रचना जगत के साथ गहरा अन्तर्सम्बन्ध रहा है। वे ही शिक्षा एवं संस्कृति के विकास में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं। हमें समझना होगा कि महज राजनैतिक पृष्टभूमि से जुड़े मंत्रियों से भिन्न, रचनात्मक एवं ज्ञान जगत से जुड़े मानव संसाधन मंत्रियों ने हमेशा भारत में एक सर्व समावेशी शिक्षा की दुनिया रचने में बड़ी भूमिका निभायी है। ज्ञान, रचना एवं नवाचार से जुड़े राजनीतिक नेताओं ने जिम्मेदारी मिलने पर भारतीय शिक्षा एवं संस्कृति को आधारभूत एवं परिवर्तनकारी स्वरूप प्रदान किया है। अगर मौलाना अबुल कलाम आजाद, हुमायूं, कबीर, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी का नेतृत्व याद करें तो उनके समय में भारतीय शिक्षा की दुनिया में महत्वपूर्ण एवं रूपांतरकारी काम हुए।
शिक्षा, साहित्य एवं पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े प्रयोगवादी विचारों के धनी वर्तमान मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने भारत में 34 वर्ष पश्चात नयी शिक्षा नीति लाकर एवं उसे लागू कर भारतीय शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के लिए जाने जायेंगे। उनके द्वारा नई शिक्षा नीति लागू करने से पहले देश भर में गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये गये नवाचारों की पहचान करने और राज्यों के शिक्षा विभागों के सामने उनकी प्रस्तुति करने और उनके साथ उन्हें जोड़ने के लिए मंच बनाने के प्रयास किये गए। देश.विदेश के शिक्षाविदों, शिक्षकों और छात्रों से लगातार संवाद स्थापित किया गया। कई विश्वव्यापी और वैकल्पिक ज्ञान प्रणालियों को ध्यान में रखने के साथ ही डिजिटल प्रौद्योगिकी में विकास का भी समावेश किया गया।
गांव के एक सामान्य परिवार से निकलकर शिशु मंदिर के शिक्षक से अपना सफर शुरू करने वाले डॉ० निशंक पूर्व में भी अपनी नेतृत्व क्षमता से सराहनीय कार्यों को अंजाम दे चुके हैं। अभिभाजित उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास मंत्री का दायित्व मिलने पर प्रदेश के बजट में लगभग दोगुना इजाफा कियाए उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में केंद्र से तमाम योजनाओं को लाने में सफल रहे साथ ही अनेकों जनकल्याणकारी योजनाओँ को समाज के अंतिम छोर में बैठे व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य किया। मुख्यमंत्री रहते हुए जहाँ 108 जैसी आपातकालीन सेवा को राज्य में शुरू किया वहीं श्स्पर्श गंगाश् जैसे जन.जागरूकता अभियान से लोगों को जोड़ा। कोरोना काल में भी ऑनलाइन शिक्षा हेतु उनके नवाचारी प्रयास सराहनीय हैं।
विश्वास है कि प्रबंधन विशेषज्ञोंए मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों से विचार.मंथन कर भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रख बनाई गई नई शिक्षा नीति 2020 संस्थानों में गुणवत्ता, पहुंच, जवाबदेही, सामर्थ्य और समानता के माध्यम से हम गुणवत्ता परक, नवाचार युक्त, प्रौद्योगिकी युक्त और भारत केंद्रित शिक्षा दे पाने में सफल होंगे।
डॉ पीताम्बर प्रसाद ध्यानी वर्तमान में श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति हैं पूर्व में डॉ ध्यानी श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति तथा जीबी पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यायवरण संस्थान में निदेशक के पद पर तैनात रहे। डॉ ध्यानी एक प्रख्यात अन्तराष्ट्रीय वैज्ञानिक हैं जिन्होने 190 रिसार्च पेपर, 23 किताबें, 05 नीतिगत दस्तावेज आदि प्रकाशित किये हैं तथा 20 से ज्यादा देशों में उच्च शिक्षा और शोध में गुणवत्ता बढाने हेतु भ्रमण किया है।



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