नवीन चौहान
कोरोना वायरस को मात देने वाली आयुर्वेदिक दवा बनाने का दावा करने वाली पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के दावों पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से कोरोना की दवा से जुड़े विज्ञापनों को बंद करने और इसपर अपने दावे को सार्वजनिक करने से मना किया है। आयुष मंत्रालय का कहना है कि जब तक इसकी विधिवत जांच नहीं हो जाती, किये गए दावों की पूरी तरह आयुष मंत्रालय जांच नहीं कर लेता तब तक इसके प्रचार-प्रसार पर रोक लगी रहेगी। आयुष मंत्रालय ने कहा कि पतंजलि की कथित दवा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून, 1954 के तहत विनियमित है।
बतादें पतंजलि की ओर से बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण आदि ने मंगलवार को ही कोरोना को मात देने का दावा करते हुए कोरोनिल नाम की आयुर्वेदिक दवा लॉन्च की थी। पतंजलि ने दावा किया था कि इस दवा के इस्तेमाल करने से कोरोना संक्रमित मरीज सात दिन में पूरी तरह ठीक हो गए।
आयुष मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि बिना मानक की जांच कराए इस दवा के हर तरह के विज्ञापन पर अगले आदेश तक रोक रहेगी। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पतंजलि से कहा गया है कि वह नमूने का आकार, स्थान, अस्पताल जहां अध्ययन किया गया और आचार समिति की मंजूरी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए।
मीडिया में जब इस दवा के बारे में प्रचार हुआ तब आयुष मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया और कहा कि कोरोना के इलाज के लिए पतंजलि की दवा को लेकर आयुष मंत्रालय को अभी कोई जानकारी नहीं है। आयुष मंत्रालय का कहना है कि किस तरह के वैज्ञानिक अध्ययन के बाद दवा बनाने का दावा किया गया है, मंत्रालय ने इससे जुड़ी पूरी जानकारी मांगी है।
कोरोना को मात देने वाली पतंजलि की दवा के लॉन्च होने के चंद घंटे बाद ही आयुष मंत्रालय की रोक
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