मासिक धर्म पर शर्म नहीं गर्व है, शिविर में बोली महिलाएं




नवीन चौहान
परमार्थ निकेतन में आयोजित ’’मासिक धर्म सुरक्षा एवं स्वच्छता प्रबंधन’’ प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हुआ। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आप ’लीडर नहीं लेडर बने’, समाज में जाकर उन लोगों की सीढ़ी बनें जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है।  आप जहां भी जायें अपने व्यवहार को ऐसा बनायें कि लोग आपके साथ सहज महसूस कर सकें तभी वे अपने दर्द को आपके साथ बांट सकते हैं ।


राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने पांच दिनों तक यहां पर रहकर  अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों को तैयार किया। प्रशिक्षकों ने मासिक धर्म के विषय में जानकारी देने के साथ व्यक्तित्व विकास, व्यवहार और दृष्टिकोण में परिवर्तन, विद्यालय, सामुदायिक स्थलों के शौचालयों की स्वच्छता, सैनेटरी पैड का सुरक्षित निस्तारण जैसे अनेक विषयों पर प्रशिक्षण दिया।
मासिक धर्म सुरक्षा एवं स्वच्छता प्रशिक्षण हेतु भारत के दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, केरल, कर्नाटक, गुजरात, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, तेलगंना सहित अन्य राज्यों के लगभग 100 से अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त प्रतिभागी आये है और सबसे अच्छी बात यह है के इस प्रशिक्षण शिविर में 40 पुरूष प्रतिभागियों ने सहभाग किया। वास्तव में यह एक बदलाव का संकेत है वे खुलकर इस विषय पर चर्चा कर रहे है। आज सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे मासिक धर्म के प्रति भ्रान्तियों को समाप्त करने में अपना योगदान प्रदान करेंगे तथा इस विषय पर व्याप्त चुप्पी को तोड़ने में अपनी भूमिका निभायंगे।


परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा  आज आपकी एक ट्रेनिंग तो पूर्ण हुई परन्तु अपने अन्दर की ट्रेनिंग के विषय में सोचे कि मैं क्यां ऋषिकेश में हूँ। हम इन्फ्रास्ट्रक्चर में खो जाते है परन्तु इन्ट्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं देते। यहां से आप सभी एक टूल (उपकरण) होकर जाईये तो बात बन जायेगी और फिर जो भी आप करेंगे वह किसी के लिये दुआ बन जायेंगी। उन्होने कहा कि जब हम किसी के लिये दिल से कुछ करते हैं तो दीवारों पर लिखी इबारतें भी बदल जाती हैं , आप सब मिलकर भारत को तंग दिल नहीं यंग दिल बनायें।
मासिक धर्म सुरक्षा अर्थात देश की आधी आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा है। इससे बेटियों की शिक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा होगी तभी हम सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकते हैं । किसी भी राष्ट्र के चहुमुखी विकास के लिये समाज की सोच, शिक्षा और वहां के लोगों का स्वस्थ होना नितांत आवश्यक है।


डब्ल्यू एसएससीसी के भारत में समन्वयक विनोद मिश्रा ने कहा कि भारत में प्रतिमाह 30 से 40 करोड़ महिलायें प्रतिमाह मासिक धर्म से गुजरती हैं। सदियों  से इस विषय पर हम सभी चुप्पी साध कर बैठे हैं। इसका प्रमुख कारण यह भी है कि भारत में नीतिनिर्माता (पालिसी मेकर) पुरूष सत्तात्मक हैं। अब समय आया है कि हम इस विषय पर व्याप्त चुप्पी को तोड़े और बेटियों को एक नयी उड़ान दें।
नाइजीरिया से आयी प्रमुख प्रशिक्षक आईरिन ने कहा कि मुझे विश्व के अनेक देशों में मासिक धर्म सुरक्षा विषय पर प्रशिक्षण देने का अवसर प्राप्त हुुआ परन्तु इस विषय पर किसी संत को इतने स्पष्ट रूप से समर्थन करते पहली बार देखा। उन्होने स्वामी को धन्यवाद देते हुये कहा कि मैने विश्व के किसी भी देश में नदी के तट पर आरती होते नहीं देखा यह दृश्य मेरे लिये अविस्मणीय है।
कार्यशाला के समापन अवसर पर भारत के विभिन्न प्रांतोेेें से आये प्रतिभागियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि जब हमने प्रशिक्षण स्थल के बारे में सुना तो लगा कि इस तरह के अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण को दिल्ली जैसे शहर में होना चाहिये था परन्तु जब हम परमार्थ निकेतन आये और यहां की ऊर्जा को महसूस किया साथ ही गंगा तट पर होने वाली आरती, वेद मंत्र और स्वामी जी के उद्बोधन को सुना तो लगा कि मासिक धर्म स्वच्छता की ट्रेनिंग के साथ हम एक और ट्रेनिंग ले रहे है कि जीवन को कैसे जियें? वास्तव में यहां का हमारा अनुभव अद्भुत रहा जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।


महाराष्ट्र से आयी प्रतिभागी प्रणामी ने कहा कि मैं जब ऋषिकेश पहंची तो मैने अपने ट्रेनर से कहा कि इस स्थल को ही क्यों चुना गया ट्रेनिंग के लिये, परन्तु आज मैं पांच दिनों बाद कह सकती हूँ इस प्रशिक्षण के लिये इससे उपयुक्त और कोई स्थान नहीं हो सकता। उन्होने बताया कि बचपन में घटी घटना के पश्चात धर्म पर उनकी आस्था नहीं थी परन्तु स्वामी जी महाराज का गंगा तट पर जब मैने उद्बोधन सुना तो लगा कि हाँ एक संत ऐसे सेवा कार्य भी करता है। वास्तव में यही धर्म है और आज मैं कह सकती हूँ यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी ट्रेनिंग है।
विनोद मिश्रा और उनकी पूरी टीम जेनेवा से आयी वित्त विशेषज्ञ नेलुम, नाइजीरिया से आयी आईरिन प्रमुख प्रशिक्षक, सत्या दाशिका, ईशलिन, श्री भरत पटवाल जी, प्रशिक्षक सुमन पाण्डेय, प्रशिक्षक, कृष्णा रामावत, तृप्ति, ऐश्वर्या मिश्रा, मनाली भट्टनागर, पुष्कर को जय गंगे शाल, रूद्राक्ष की माला और रूद्राक्ष का पौधा देकर परमार्थ निकेतन में सभी का अभिनन्दन किया। स्वामी जी महाराज ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र भेंट किये।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती  महाराज के साथ सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि ’’मैं मासिक धर्म पर चुप्पी नहीं बरतूंगी। अब मुझे शर्म नहीं बल्कि गर्व है। मैं इस मासिक धर्म पर घर में और बाहर भी बात करूँगी’’।



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