नवीन चौहान
छात्रवृत्ति घोटाले में फंसे कई रंगबाज एसआईटी से बचने के लिए नेताओं की जुगत भिड़ा रहे है। नेताओं के घरों के चक्कर लगा रहे है। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी की पूछताछ से बचने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहे है। हालांकि छात्रवृत्ति घोटालेबातों की कुंडली एसआईटी ने बांच ली है। एसआईटी सूत्रों की माने तो घोटालेबाजों के बुरे दिन आ गए है।
उत्तराखंड को कर्ज में डूबाने वालों में निजी कॉलेज संचालकों की भूमिका को भी कमतर नही आंका जा सकता है। वर्तमान स्थिति में राज्य करीब 50 हजार करोड़ के बोझ तले दबा है। लेकिन इस राज्य की माली हालत को खस्ताहाल बनाने में निजी कॉलेज संचालकों का रोल भी कम नही है। इन कॉलेज संचालकों ने सरकार की आंखों में धूल झोंककर एससी-एसटी और ओबीसी छात्रों को पढ़ाने के नाम पर खूब फर्जीबाड़ा किया। फर्जी नाम पते डालकर एडमिशन दिखाए और समाज कल्याण विभाग से सांठगांठ कर छात्रवृत्ति की धनराशि को हड़पने का खेल शुरू किया। निजी कॉलेजों को ये खेल ऐसा रास आया कि उन्होंने धुआंधार बल्लेबाजी शुरू कर दी। मेरठ, सहारनपुर और बिजनौर तक से शिक्षा माफियाओं ने हरिद्वार में निजी कॉलेज की स्थापना कर दी। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खूब चांदी काटी। लेकिन अब जब इस केस की परतें खुलनी शुरू हुई तो निजी कॉलेज संचालकों को पुलिस गिरफ्तारी का डर सताने लगा। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रहे एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने घोटालेबाजों की गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू किया तो अब दहशत का माहौल बनने लगा। निजी कॉलेज संचालक गिरफ्तारी से बचने के लिए नेताओं से जुगत भिड़ा रहे है। हालांकि तमाम पुख्ता सबूतों के साथ गिरफ्तारी कर रही एसआईटी पर किसी नेता का कोई दबाब नही है। ऐसे में इस केस में कई बड़े चेहरे सलाखों के पीछे दिखाई देने वाले है।