मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ हो रही बड़ी साजिश




नवीन चौहान
प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही है। भाजपा के ही नेता इस बात को हवा दे रहे हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री को बदलने के कयास भी लगाए जा रहे है। जीरों टालरेंस की मुहिम को लेकर आगे बढ़ रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ आखिरकार परदे के पीछे से कौन गेम कर रहा हैं। सूत्रों से जानकारी मिली है कि कुछ भाजपाईयों को मुख्यमंत्री की ईमानदारी और बढ़ता प्रभाव रास नहीं आ रही हैं।
उत्तराखंड की सियासत का इतिहास इस बात का गवाह है कि अपनी ही पार्टी के नेता जड़े खोदते दिखाई पड़े है। खंडूरी, कोश्यारी, निशंक और हरीश रावत इस बात का प्रमाण है, उनकी कुर्सी आपसी लड़ाई की भेंट चढ़ी। लेकिन इस बार प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी किस नेता की महत्वकांक्षा के कारण हिलौरे ले रही है। ये बात किसी के गले नहीं उतर रही। हालांकि खुद भाजपाई इस बात को हवा दे रहे हैं। बताते चले कि प्रदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीरो टालरेंस की मुहिम को लेकर अपनी सरकार को चलाना शुरू किया। सीएम ने बड़े ही फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाये। करीब 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे प्रदेश में पूरी सूझबूझ का परिचय देते हुए घोषणाएं की। जो घोषणाएं की उनको अमल में लाया गया। कोरी घोषणाओं का लालीपाप जनता को नहीं दिया। खनन और आबकारी नीति में भी पारदर्शिता बरतने का पूरा प्रयास किया। दो साल की सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना दामन साफ रखा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद शुरू की। डबल इंजन की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का विश्वास जीतने में सफल रहे। यही कारण रहा कि प्रदेश के दो मंत्री पदों को भरने में सीएम ने कोई जोखिम नहीं लिया। दो सालों से दो मंत्री पद रिक्त चले आ रहे है। मुख्यमंत्री की साफ छवि और उनकी अटल आयुष्मान योजना ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को जनता के काफी नजदीक ला दिया। जनता की नजर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एक अच्छे मुख्यमंत्री के तौर पर उभरने लगे। ऐसी स्थिति में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि को खराब करने के प्रयास शुरू किए गए। सीएम को स्टिंग प्रकरण में उलझाने और बदनाम करने का प्रयास किया गया। झारखंड के प्रभारी रहने के दौरान उनपर पैंसे लेने के आरोप लगाए गए। हालांकि इन तमाम आरोपों के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। लेकिन इस तमाम बातों के पीछे कोई ना कोई तो है जो ईमानदार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी को हिलाना चाहता हैं। जिसकी महत्वकांक्षा कुर्सी को पाने के लिए है। अब देखने वाली बात ये है कि उत्तराखंड की सियासत का इतिहास एक बार दोहराया जायेगा या मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस साजिश से बच निकलेंगे।



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