शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का सर्किल रेट बढ़ाने से इंकार




नवीन चौहान
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार प्रॉपर्टी के कारोबार पर करारा प्रहार करने की तैयारी कर रही है। जिसके चलते प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त पर एक तरह से रोक​ लग जायेगी। प्रॉपर्टी डीलर संपत्ति की खरीद फरोख्त से किनारा कर लेंगे। नए सर्किल रेट के बाद से हरिद्वार और देहरादून में प्रॉपर्टी के दामों में भारी इजाफा होगा। जिससे संपत्ति के खरीददार हरिद्वार और देहरादून से मुंह मोड़ लेंगे। जहां एक ओर बेरोजगारी बढ़ेगी और दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार को मिलने वाले राजस्व में भारी कमी आयेगी। जिसके चलते सरकार को अपने सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ जायेंगे।
उत्तराखंड राज्य पूरी तरह से कर्ज में डूबा है। राज्य पर करीब 50 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है। जबकि राज्य में राजस्व वसूलने के लिए खनन, आबकारी और प्रॉपर्टी के कारोबार है। प्रदेश में खनन के कारोबार और आबकारी की दुर्गति किसी से छिपी नही है। राज्य में वैध खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। जबकि अवैध खनन से प्रदेश को राजस्व की हानि हो रही है। वही दूसरी ओर आबकारी विभाग घाटे में चल रहा है। राजस्व वसूलने के प्रदेश सरकार की तमाम योजनाएं विफल साबित हुई है। ऐसे में एक बार फिर प्रदेश सरकार आर्थिक मंदी की दिशा में बढ़ रही है। सिडकुल की कंपनियां उत्तराखंड से पलायन करने को तैयार है और अपना कारोबार समेट रही है। वही प्रॉपर्टी के कारोबार की बात करें तो केंद्र की मोदी सरकार के बाद पिछले पांच सालों में संपत्ति के दाम जस के तस है। जबकि कई महानगरों में दामों में भारी गिरावट है। जिसके चलते कई बड़े बिल्डर दिवालिया हो गए है। बिल्डर अपना प्रोजेक्ट अधूरा छोड़कर बैठे है। बात उत्तराखंड की करें तो यहां की स्थिति भी बहुत दयनीय है। प्रॉपर्टी डीलर पिछले कुछ सालों से हाथ पर हाथ धरकर राज्य सरकार की किसी बेहतर योजनाओं का इंतजार कर रहे है। राज्य सरकार कारोबारियों को सहारा दे तो वह यहां सस्ते घरों को उपलब्ध कराने का मार्ग बनाए। लेकिन प्रदेश की मूल्यांकन समिति ने कृषि, अकृषि और व्यवसायिक भूमि के लिए सर्किल रेट का प्रारूप तैयार किया है। इन नए प्रारूप में हरिद्वार और देहरादून में सर्किल रेट दोगुरा करने का सुझाव दिया गया है। जबकि उधमसिंह नगर में तीन गुना ​करने की योजना बनाई है। जबकि पहाड़ों की बात करें तो अल्मोड़ा, टिहरी और उत्तरकाशी में भी सर्किल रेट में सर्वाधिक रेट बढ़ाए गए है। ये सर्किल रेट तो एसी कमरों में बैठकर बड़े—बड़े बुद्धि​जीवियों ने बनाए गए है। इन बुद्धिजीवियों ने सरकार के मंत्रियों को विश्वास में लेकर ही इस प्रारूप को अमलीजामा पहनाया है।
प्रॉपर्टी कारोबारी विकास गर्ग ने बताया कि हरिद्वार और देहरादून में संपत्ति के खरीददार मध्यमवर्गीय लोग है। जो अपने लिए आशियाना और कारोबार की तलाश में एक अदद ठिकाना तलाश करते है। भूमि के छोटे टुकड़ों की खरीद फरोख्त करते है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार को हरिद्वार और देहरादून में प्रॉपर्टी कारोबारियों को पैर जमाने की दिशा में पहल करनी चाहिए। सर्किल रेट में इजाफा करने की वजाय कारोबारियों और खरीददारों को राहत प्रदान करनी चाहिए। ताकि वह संपत्ति की खरीद फरोख्त कर सरकार के खजाने में राजस्व की बढ़ोत्तरी कर सके। लेकिन सरकार की मंशा सवालों के घेरे में है। सरकार कारोबारियों को राहत प्रदान की वजाय उनके कारोबार को ही चौपट करने में लगी है।
उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री व शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि सर्किल रेट बढ़ाने के संबंध में इस तरह का कोई प्रस्ताव तैयार नही किया गया है। सर्किल रेट की बढ़ोत्तरी करने के संबंध में कोई चर्चा नही की गई है। अभी प्रदेश में सर्किल रेट बढ़ाने को लेकर सरकार को कोई प्रस्ताव नही मिला है और ना ही विचार हुआ है। उत्तराखंड सरकार प्रदेश के हित को देखते हुए ही कार्य कर रही है।



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