हौसले ने भरी उड़ान तो कल्पना पांडेय एडीजी में चयनित 




नवीन चौहान
सफलता परिश्रम का इंतिहान लेती है। अगर दिल लगाकर परिश्रम किया तो सफलता कदमों में नजर आती है। ऐसे ही एक बुलंद हौसले की जीती जागती मिशाल है कल्पना पांडेय। चार बहनों और एक भाई के बीच पली बढ़ी कल्पना की शादी 12वीं कक्षा होने के बाद ही कर दी गई। ससुराल पहुंची तो पिता के रूप में ससुर जी का आशीर्वाद मिला तो कल्पना को पढ़ने का अवसर मिला। अधिवक्ता बनी तो हरिद्वार में सहायक अभियोजन अधिकारी के रूप में चयनित हुई। लेकिन 2018 की उत्तर प्रदेश की हायर ज्यूडिशिल सर्विस एक्जाम में कल्पना पांडेय ने चयनित होकर इतिहास रचा है।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या, फैजाबाद निवासी अर्जुन प्रसाद पांडेय के यहां कल्पना का जन्म हुआ। पिता चार्टड एकाउंटेंट और माता सुशीला पांडेय कुशल गृहणी रही। दोनों ने बिटियां को संस्कार दिए और 12तक की शिक्षा दिलाई। इसी दौरान साल 1998 में कल्पना की शादी ऋषिकेष आईडीपीएल निवासी शिवकरण पांडेय के बेटे आशीष पांडेय के साथ कर दी गई। कल्पना ससुराल में आ गई तो ससुर ने पिता का फर्ज निभाते हुए पढ़ने के लिए कॉलेज भेज दिया। कल्पना को पढ़ने का मौका मिला तो उसने भी खुद को साबित करने के लिए दिन रात एक कर दिया। परिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए कल्पना ने स्नातक की शिक्षा फैजाबाद से ही पूरी की। जबकि परास्नातक की डिग्री ऋषिकेश के ललित मोहन डिग्री कॉलेज से की। डीएवी देहरादून से एलएलबी की पढ़ाई की तो ओपन यूनिवर्सिटी से एलएलएम की डिग्री हासिल की। शिक्षा अर्जित करने के दौरान कल्पना को मां बनने का सौभाग्य भी मिला और एक पुत्र और पुत्री का जन्म हुआ। दोनों बच्चों की परवरिश पारिवारिक जिम्मेदारी के बीच कल्पना का चयन साल 2012 में सहायक अभियोजन अधिकारी के पद पर हुआ। मृदुभाषी कल्पना पांडेय रोशनाबाद कोर्ट में पीडि़तों को न्याय दिलाने में जुट गई। लेकिन अपनी पढ़ाई को जारी रखा। साल 2016 में यूपी एचजेएस का एग्जाम दिया। लेकिन सफलता नही मिल पाई। कल्पना पांडेय ने हिम्मत नही हारी। कल्पना ने साल 2018 में एक बार फिर अपने बुलंद हौसलों के साथ परीक्षा दी। 26,27 और 28 अप्रैल 2019 को परीक्षा संपन्न हुई। जबकि 13 और 14 जुलाई को साक्षात्कार हुआ। जब 26 जुलाई 2019 को परिणाम आया तो कल्पना की खुशी का ठिकाना ना रहा। आखिरकार मेहनत के आगे सफलता ने घुटने टेक दिए थे।

दो बच्चों की परवरिश कर रही कल्पना
कल्पना पांडेय के दो बच्चे सौम्या पांडेय और श्रीष पांडेय है। दोनों बच्चे पढ़ाई कर रहे है। कल्पना के पति आशीष ऋषिकेष में अपना व्यवसाय चलाते है। जबकि दोनों बच्चे अपनी मां के साथ रहकर पढ़ाई करते है।

तीन बहने भी अधिवक्ता
कल्पना पांडेय के तीन छोटी बहने भी अधिवक्ता है। रचना शुक्ला लखनऊ में, सीमा शुक्ला दिल्ली में रमा शुक्ला इलाहाबाद में वकालत कर रही र्है। तीनों शादीशुदा है और परिवार के दायित्वों को भी निभा रहे है। वही भाई सुधीर पांडेय भी अधिवक्ता रहे। उनका ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया।

ससुर के आशीर्वाद से बनी जज
कल्पना पांडेय परीक्षा में सफल होने के पीछे का पूरा श्रेय अपने ससुर शिवकरण पांडेय को देती है। उनका कहना है कि ससुर मेरे प्रेरणास्रोत्र है। उनका आशीर्वाद मिला तो वह आगे की पढ़ाई जारी रख पाई।

कल्पना पर टूटा दुखों का पहाड़
अधिवक्ता से जज बनी कल्पना पांडेय पर दुखों का संकट का दौर आया। साल 2011 में पिता की हार्ट अटैक के चलते मृत्यु हो गई। जबकि साल 2013 में भाई सुधीर पांडेय की ब्रेन हैमरेज के कारण मृत्यु हो गई। पिता और भाई का साथ छूटा तो मां की जिम्मेदारी और भाई के बच्चों की जिम्मेदारी भी कल्पना पांडेय पर आ गई। कल्पना इस जिम्मेदारी का भी बखूवी पालन कर रही है।



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