नवीन चौहान, हरिद्वार। नगर निकाय चुनाव में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की रणनीति में कोई कमी दिखाई नहीं दी। मदन ने पूरी प्लानिंग के साथ चुनाव लड़ने की रूपरेखा बनाई। लेकिन मदन कौशिक अपनी आस्तीन में पलने वाले सांप के मंसूबे समझने में नाकाम रहे। जिस पर भरोसा किया उसने ही मदन की पीठ पीछे छुरा भोंकने का काम किया। जिसका नतीजा ये रहा कि नजदीकि मुकाबले में महज 3647 वोट से भाजपा ने मेयर की सीट खो दी और अन्नु कक्कड़ को हार का मुंह देखना पड़ा।
मेयर पद का चुनाव हारने के बाद कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के वोट बैंक में कोई कमी आई है ऐसा नहीं है। भाजपा का वोटर भाजपा से ही जुड़ा है। फिर वो कौन सी बात रही जिसने मदन कौशिक को चुनाव में नुकसान किया। सबसे बड़ी बात तो इस चुनाव में ये रही कि मदन कौशिक के सबसे नजदीक रहने वाले नेता ही भीतरघात करने का कार्य किया। दूसरी सबसे बड़ी बात ये ही कि पार्टी प्रत्याशी को लेकर बाहरी होने और कई अन्य बातों को लेकर दुष्प्रचार किया गया। लेकिन विश्वासपात्र नेता ने ये जानकारी भी अपने नेता को नहीं दी। मंत्री मदन कौशिक को भारी बहुमत से चुनाव जीतने का सब्जबाग दिखाते रहे। मदन कौशिक अतिउत्साह में रहे। शायद यही अतिउत्साह ही उनको चुनाव में हार तक ले गई। जबकि सच बात ये है कि मदन कौशिक से जनता आज भी नाराज नहीं है। जनता के बीच उनकी छवि आज भी अच्छी है। लेकिन भीतरघाट का शिकार मदन कौशिक ने जल्द ही अपने आस्तीन के सांप से किनारा नहीं किया तो आगे आने वाले लोकसभा चुनाव में उनको बड़ा नुकसान होने की संभावना है