DAV स्कूल में खाली माचिस लेकर तिल्ली ढूंढने पहुंचे, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार।
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में आयोजित वैदिक चेतना सम्मेलन के समापन अवसर पर वैदिक विद्वान सुरेंद्र शर्मा ने खाली माचिस और तिल्ली का उदाहरण देते हुए शिक्षा से पूर्व बच्चों को खाली माचिस और शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों को तिल्ली बताया। कहा कि खाली माचिस श्रेष्ठ गुरु के संरक्षण के जाकर तिल्ली का रूप धारण कर सकती है और समाज में अलख जगा सकती है। कहा कि भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, स्वामी दयानंद और महात्मा हंसराज आदि खाली माचिस के समान थे। गुरु के सानिध्य में जाकर वे तिल्ली बन गए जिन्होंने गुरु के सानिध्य में तिल्ली रूपी ज्ञान से ऐसा प्रकाश सम्पूर्ण जगत में फैलाया कि जिससे आज समूचा संसार उसके प्रकाश से प्रकाशमान हो रहा हैं।


म्ुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सुरेंद्र कुमार ने वैदिक चेतना सम्मेलन को संबोधित करते हुये विद्यार्थियों और अभिभावकों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने स्वामी दयानंद के ज्ञानरूपी तिल्ली के माध्यम से कुरीतियों और अंधविश्वास पर प्रहार करते हुए समाज को एक नई दिशा देने की पहल की। इसी ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रेरणा लेकर महात्मा हंसराज ने देश भर में डीएवी स्कूलों की स्थापना की। जिससे आज करोड़ों युवा ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं और श्रेष्ठ नागरिक बनकर देश व समाज की सेवा में अनवरत जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुरु के सानिध्य में जाने से पूर्व बच्चे की गुरु उसकी माता होती है। जो संसार में होने का भान कराती है। कहा कि भले की व्यक्ति की आयु कितनी भी हो किन्तु जब से व्यक्ति में ज्ञान का प्रकाश अंकुरित होता है और वह समाज की सेवा में स्वंय को संलग्न कर लेता है उसी दिन से उसकी आयु का आरम्भ होता है। तभी से वास्तव में उसका जन्म होना माना जाता है। कहा कि यदि व्यक्ति ज्ञान की प्राप्ति न करे और समाज सेवा तथा सेवा कार्य न करे तो उसका जीवन निरर्थक है। उन्होंने सभी से ज्ञान प्राप्ति और समाज सेवा का संकल्प करवाया।


डीएवी के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कहा कि केवल माता-पिता के अतिरिक्त गुरु ही एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने विद्यार्थियों को अपने से उपर उठाता देखना चाहता है। उसकी कामना रहती है कि उसके बच्चे बड़ा स्थान प्राप्त करेंगे तो गुरु का सम्मान होगा। श्रेष्ठ बनना और ज्ञान की उंचाईयों को छूना की गुरु की एकमात्र अभिलाषा रहती है। उन्होंने अपने पूर्व छात्र संजय नेगी की प्रतिभा को याद करते हुए बच्चों से भी अपनों से बड़ों से सीख लेने की नसीहत दी।

इससे पूर्व विद्यालय पहुंचने पर बच्चों ने सुरेन्द्र शर्मा का मंगल तिलक कर अभिनन्दन किया। डीएवी के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने पुष्प गुच्छ देकर व शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। इससे पूर्व दूसरे व अंतिम दिन के कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन व मंत्रोच्चार के साथ हुआ।

अतिथियों का स्वागत के माध्यम से स्वागत किया गया। कक्षा तीन के विद्यार्थियों ने वेदों की ऋचाओं का पाठ किया। समूह गढ़वाली नृत्य व अध्यापिका श्रीमती अर्चना तलेगांवकर ने भजन गाकर समां बांधा। अध्यापकों के समूह गान ने भी उपस्थिति की वाहवाही लूटी। इस अवसर पर नृत्य नाटिका, डांस ड्रामा व बच्चों के समूहगान के कार्यक्रम हुए।डीएवी स्कूल के वैदिक चेतना सम्मेलन में करीब 1500 से अधिक अभिभावकों ने हिस्सा लिया।
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