उत्तराखण्ड रणजी क्रिकेट टीम सलेक्शन में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा, जानिए पूरी खबर




-रन देखकर नहीं क्षमता देखकर किया जाता है सलेक्शनः पाण्डेय
-सलेक्शन के लिए एक ही खिलाड़ी को दो टीमों से बैटिंग कराई
-60 रन बनाने वाला बाहर और 10 व 12 बनाने वाले का चयन
नवीन चौहान, हरिद्वार।
उत्तराखण्ड की रणजी टीम सलेक्शन में बड़े भ्रष्टाचार का खेल किया गया है। टीम सलेक्शन में गौरों पर सितम अपनों पर करम वाली कहावत चरितार्थ हुई है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि टीम में स्थान देने के लिए एक खिलाड़ी को दोनों परियों में स्थान देकर उसका सलेक्शन किया गया।
बता दें कि शुक्रवार को उत्तराखण्ड रणजी के लिए टीम सलेक्शन देहरादून स्थित स्पोर्टस कालेज रायपुर मंे हुआ। जिसमें सलेक्शन के लिए खिलाडि़यों की ए और बी टीम खेली। हरिद्वार के शिवम् खुराना भी टीम में बतौर विकेट कीपर शामिल थे। सलेक्शन के लिए सलेक्टरों को प्रभावित करने के लिए सभी ने अपने बल्ले और गंेद के माध्यम से सलेक्टरों को प्रभावित करने की कोशिश की। शिवम खुराना का जब खेलने का नम्बर आया तो वह पहली ही गेंद पर आऊट हो गए। इससे पूर्व भी विजय हजारे ट्राफी प्रतियोगिता के लिए शिवम टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए थे।
टीम सलेक्शन में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा देखिए की एक टीम से खेलते हुए पहली ही बॉल पर आउट होने के बाद शुभम् को दूसरी टीम की ओर से भी बल्लेबाजी करने का मौका दिया गया। जबकि एक खिलाड़ी एक ही टीम की ओर से तथा एक बार ही खेलता है। किन्तु भाई भतीजावाद के चलते एक खिलाड़ी न केवल दोनों ही टीमों में खेलने का मौका दिया गया बल्कि उसका सलेक्शन भी कर लिया गया। जबकि सलेक्शन के लिए वैभव भट्ट और वैभव पंवार ने क्रमशः 10 व 12 रनों को योगदान दिया। जबकि सौरभ चौहान ने पहली पारी में 60 रन और दूसरी पारी में 35 रन नॉट आउट का योगदान दिया। बावजूद इसके सौरभ को टीम में सलेक्टरों ने स्थान नहीं दिया और वैभव भट्ट व वैभव पंवार जिन्होंने 10 व 12 रन बनाए थे स्थान दिया गया।
हास्यास्प्रद यह कि किस नियम के तहत एक ही खिलाड़ी को दोनों टीमों से खिलाया गया। इससे भी बड़ी बात यह कि शून्य पर आउट होने और दोनों पारियों में खेलने वाले शिवम खुराना को जब बल्लेबाजी का पुनः मौका दिया गया तो उसके लिए बल्लेबाज से बॉलिंग करवाई गई, जिससे वह पुनः शून्य पर आउट न हो जाए। जिस कोच ने पुनः शिवम से बल्लेबाजी करवाई वह हिमाचल प्रदेश का कोच है और अभिमन्यु एकेडमी के साथ कांग्रेसी नेता हीरा सिंह बिष्ट से भी उसके अच्छे संबंध है। यहीं कारण रहा कि अभिमन्यु एकडेमी और हीरा सिंह बिष्ट एकेडमी के खिलाडि़यों का ही रणजी टीम के लिए सलेक्शन किया गया।
15 की टीम में तीन विकेटकीपर
भ्रष्टाचार की एक और पराकाष्ठा देखिए की किसी भी टीम में खिलाडि़यों को खिलाने से पूर्व उसके संतुलन की ओर ध्यान दिया जाता है। आशय की टीम में बल्लेबाज के साथ गंेदबाज उनमें भी लेग स्पीनर, ऑफ स्पीनर, तेज गंेदबाज, विकेटकीपर सभी का सामांजस्स बैठाकर टीम को मैदान में उतारा जाता है, किन्तु जिस टीम में हरिद्वार का शिवम खुराना शामिल था उस टीम में शिवम खुराना समेत तीन विकेटकीपर खिलाए गए थे। जिससे स्पष्ट होता है कि टीम सलेक्शन में जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
टीम सलेक्शन में कांग्रेसी नेताओं की रही दखलंदाजी
हरिद्वार के जिस शिवम का रणजी टीम के लिए सलेक्शन किया गया उसके पिता भी कांग्रेस सेवादल के एक पदाधिकारी हैं। जबकि हीरा सिंह बिष्ट भी कांग्रेस सेवादल के प्रदेश पदाधिकारी हैं। इस कारण शिवम के अयोग्य होने बाद भी सलेक्शन होना राजनीति से ओतप्रोत है।

भाई भतीजावाद का रहा बोलबाला
रणजी टीम के लिए खिलाडि़यों का सलेक्शन करने के लिए बीसीसीआई ने लॉजिस्टिक मैनेजर अमित पांडेय व अन्य को भेजा था। टीम सलेक्शन के लिए अधिकारियों को सारा खर्च बीसीसआई वहन करती है। बावजूद इसके बीसीसीआई के अधिकारी अभिमन्यु क्रिकेट कोचिंग एकेडमी में ही ठहरे। जो कि नियम विरूद्ध है। इतना ही नहीं पूर्व में बीसीसीआई का कार्यालय रायपुर रोड़ स्थित एक स्थान पर था, जिसे अब प्राईवेट क्रिकेट अकादमी अभिमन्यु एकाडमी में ही बनाया हुआ है। ऐसे में सलेक्शन में घालमेल का होना लाजमी है। जैसा की हुआ भी है।
प्राईवेट एकाडमी के कोच देते रहे सलाह
टीम सलेक्शन के दौरान सलेक्टरों के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति या किसी अन्य एकेडमी के कोच का दखल नियमों के विरूद्ध है। जबकि अभिमन्यु एकेडमी के कोच मनोज रावत और उप कोच रवि नेगी दिन भर मैदान में बीसीसीआई अधिकारियों के साथ डटे रहे। ऐसे में दो ही एकेडमी के बच्चों का टीम में सलेक्शन होना भ्रष्टाचार के दावों को पुख्ता करता है।
उक्त मामले में जब बीसीसीआई उत्तराखण्ड के लॉजिस्टिक मैनेजर अमित पाण्डेय से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि लिए टीम का सलेक्शन किया गया है वह संतुलित है। किसी खिलाड़ी को दो बार खिलाना है और किसे एक बार यह चयनकर्ताओं का अधिकार होता है। जिस समय टीम का सलेक्शन किया जा रहा था मैं उस समय मैदान से बाहर था। दो ही एकडमी के खिलाडि़यों के टीम में सलेक्शन पर उन्होंने कहा कि यह मात्र संयोग हो सकता है। टीम सलेक्शन में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया है। बताया कि किसी भी खिलाड़ी का सलेक्शन उसके द्वारा बनाए गए स्कोर को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता। खिलाड़ी की खेलने की तकनीक, उसकी फिटनेस तथा अन्य बातों पर भी ध्यान दिया जाता है। उसके बाद ही खिलाड़ी का चयन होता है। कहा कि जिस प्रकार से टीम सलेक्शन को लेकर उंगलियां उठ रही हैं, जो टीम चुनी गई है उसके परिणाम आपको तीन वर्ष बाद दिखाई देंगे। कहा कि मैं एक खिलाड़ी हूं और किसी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ हूं।



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