ट्रैवल एजेंसियों पर जीएसटी की तीसरी नजर, पकड़ेगी फर्जीबाड़ा




नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार दूर करने की कवायद और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टालरेंस की मुहिम के चलते ट्रैवल एजेंसियों का उत्तराखंड सरकार की आंखों में धूल झोंकना आसान नही होगा। ट्रैवल एजेंसियों के फर्जीबाड़े पर नकेल कसने के लिए जीएसटी विभाग ने तीसरी नजर मुस्तैद कर दी है। जीएसटी विभाग की ओर से पुलिस चैक पोस्ट पर यात्रियों की बुकिंग स्लिप और यात्री सूची का पूरा रिकार्ड जुटाया जा रहा है। जिसके चलते प्रदेश के करोड़ों के राजस्व की प्राप्ति होगी और कालेधन पर भी रोक लगेंगी। उत्तराखंड में पहली बार जीएसटी विभाग पूरी सक्रियता के साथ जुटा हुआ है।
उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की यात्रा 7 मई से विधिवत शुरू हो गई है। यात्रा पर जाने के लिए देश विदेश के लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन यात्रा मार्गो पर रवाना हो रहे है। इन श्रद्धालुओं को यात्रा पर भेजने का कार्य निजी ट्रैवल एजेंसियों के साथ, जीएमओ, टीजीएमओ और संयुक्त रोटेशन की बसों के अलावा टैक्सी यूनियनों के छोटे वाहन कर रहे है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड सरकार की रोडवेज बसे भी यात्रियों को चारधाम यात्रा पर ले जा रही है। लेकिन निजी ट्रैवल एजेंसिया यात्रियों के वाहनों की बुकिंग तो कर रहे है लेकिन महज एक बुकिंग रसीद यात्रियों को थमाकर उनको वाहन देकर यात्रा पर रवाना कर रहे है। पंजीकृत और गैर पंजीकृत दोनों प्रकार की ट्रैवल एजेंसिया इसी प्रकार बुकिंग कर रही है। पर्यटन विभाग में पंजीकृत ट्रैवल एजेंसिया भी कुछ यात्रियों को महज रसीद देकर ही बुकिंग कर रही है। जबकि ऑन लाइन बुकिंग होने वाले यात्रियों से बाकायदा 5 फीसदी जीएसटी वसूला गया है। ऐसे में इन निजी ट्रैवल एजेंसियों की गड़बड़ी के खेल से परदा उठाने के लिए जीएसटी विभाग ने परिवहन विभाग की मदद से पूरी तैयारी की है। बताते चले कि यात्रियों को सेवा प्रदान करने वाली ट्रैवल एजेंसिया 5 प्रतिशत के जीएसटी दायरे में आती है। ऐसे में यदि फर्जीबाड़ा होने अथवा कर चोरी पकड़ में आती है तो कई गुना जुर्माना भुगतना भी पड़ेगा।
किस तरह होता है कर चोरी का खेल
ट्रैवल एजेंसिया यात्रियों से वाहनों का किराया नकद प्राप्त कर एक स्लिप थमा देते है। इसे बुकिंग स्लिप कहें या रसीद सबकुछ यही मानी जाती है। यात्री भी कर से बचने के लिए इस रसीद को लेकर ही संतुष्ट हो जाते है। लेकिन एक इस पूरे खेल में उत्तराखंड को करोड़ों के राजस्व की हानि होती है। ट्रैवल एजेंट की तिजोरी कालेधन से भर जाती है। जबकि सड़कों को दुरस्त करने वाली राज्य सरकार के हाथ में फूटी कौड़ी नही जाती है। लेकिन इस बार टैªवल एजेंटों की चोरी पकड़ में आ जायेगी।
होटल वाले कमीशन एजेंट
चारधाम यात्रा सीजन के दौरान हरिद्वार के होटल और धर्मशाला मैनेजर भी कमीशन एजेंट के तौर पर बुकिंग करने लगते है। बाकायदा वाहनों की बुकिंग कर यात्रियों को चारधाम यात्रा पर रवाना करते है। जबकि उनके पास किसी तरह का कोई पंजीकरण नही होता है। यात्री भी सस्ते के चक्कर में बुकिंग करा लेते है। कई होटल वालों के कार्ड जीएसटी विभाग की पकड़ मे आए है।
जीएसटी कमिश्नर राकेश टंडन ने बताया कि अभी तक जो भी यात्री चारधाम यात्रा पर गए है। उनकी बुकिंग स्लिप और यात्री सूची का रिकार्ड चैक पोस्ट पर जुटाया गया है। 15 जून के बाद इन सभी एजेंसियों के टैक्स का आंकलन किया जायेगा। जिन्होंने भी गड़बड़ी की है उनपर कार्रवाई की जायेगी। राकेश टंडन ने बताया कि एक इनोवा वाहन 60 से 65 हजार तक में चारधाम यात्रा पर जा रही है। जीएसटी विभाग को पूरी जानकारी है। इस बार टैक्स चोरी नही हो पायेगी।
जिला पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल ने बताया कि हरिद्वार में करीब 175 ट्रैवल एजेंसी रजिस्टर्ड है। इनके अतिरिक्त जो भी एजेंसी काम करती हुई पाई जायेगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।



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