uttarakhand police के चार कांस्टेबलों की मौत आत्महत्या या इक्तेफाक




नवीन चौहान, हरिद्वार। मित्र पुलिस के चार दोस्तों की मौत आत्महत्या है या एक इक्तेफाक ये हर किसी की समझ से परे है। चारों दोस्तों में घनिष्ठ मित्रता थी। चारों मित्रों से एक साथ खाकी वर्दी पहनी। कानून का अक्षरश अनुपालन कराने की शपथ ली। मित्रता, सेवा और सुरक्षा का संकल्प लिया, लेकिन उसके बाद जो हुआ किसी की भी रूह कंपा सकता है। तीन दोस्तों से एक फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जबकि चौथे दोस्त चंद्रवीर ने मानसिक अवसाद से गुजरने के बाद शनिवार को खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। हालांकि पुलिस अधिकारियों की ओर से चंद्रवीर को बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए। उसे इलाज के लिए काफी अवकाश दिया गया। लेकिन अनहोनी को कोई टाल नही सकता है। ऐसा की कुछ चंद्रवीर के साथ हुआ। आज वो हमारे बीच नहीं है। लेकिन कई अनसुलझे सवाल जस कके तस है। आखिर इन चार दोस्तों की मौत एक रहस्य ही बनी रहेगी।

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हरिद्वार जनपद में क्यूआरटी के तैनात कांस्टेबल विपिन सिंह भंडारी ने उत्तरी हरिद्वार के अंचल आनन्द धाम के कमरा नम्बर 227 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। विपिन सिंह भण्डारी पुत्र नंदन सिंह भण्डारी बैंक कालोनी, मोथरोवाला, देहरादून मूल रूप से पौड़ी का रहने वाला था। विपिन भंडारी अपने कमरे में बेल्ट से फंदा बनाकर लटक गया था। सूचना पर पहुंची पुलिस को कमरे से कोई सुसाइट नोट नहीं मिला। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। विपिन भंडारी के आत्महत्या के कारण स्पष्ट नही हो पाए।  विपिन 2012 में पुलिस में भर्ती हुआ था। विपिन भंडारी के साथ उसके तीन दोस्त जगदीश बिष्ट, हरीश और चंद्रवीर भी उसी साल 2012 में पुलिस ट्रैनिग ले रहे थे। इन चारों में गहरी दोस्ती हो गई। चारों दोस्तों ने पुलिस महकमें में अपनी कर्तव्यनिष्ठा से अलग पहचान बनाई।

अब जिक्र करते हैं इन दोस्तों की मौत की दास्तां का। हरीश का शव सिंहद्वार और प्रेमनगर आश्रम पुलिया के पास एक सरिये से लटका हुआ मिला। जबकि हरीश की बाइक सड़क किनारे खड़ी हुई थी। पुलिस हरीश की मौत से पर्दा नहीं उठा पाई। संभावना जताई गई की हरीश ने आत्महत्या की है।  दूसरे दोस्त जगदीश बिष्ट की कहानी भी मिलती-जुलती है। जगदीश ने सिडकुल में अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या की। जगदीश मानसिक तनाव से ग्रसित था। ये बात उसकी मौत के बाद परिजनों को पुलिस को बताई। तीसरे दोस्त चन्द्रवीर की बात करते हैं। चंद्रवीर की मनोदशा ठीक नहीं बताई जा रही थी। जब तीन पुलिस कांस्टेबलों की सुसाइड करने पर तत्कालीन एसपी सिटी ममता वोहरा का ध्यान आकर्षित हुआ तो तीनों के पुलिस रिकार्ड को खंगाला गया। तीनों के मित्रों की पड़ताल की गई तो एसपी सिटी ममता वोहरा का ध्यान सीधा चंद्रवीर की ओर गया। कांस्टेबल चंद्रवीर के बारे में पता किया गया तो उसकी मनोदशा भी बिगड़ी हुई मिली। एसपी सिटी ममता वोहरा ने तत्कालीन एसएसपी कृष्ण कुमार वीके के निर्देशों पर देहरादून के मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा से चंद्रवीर की काउंसलिंग कराई। इसके अलावा पूरे जनपद में पुलिस कांस्टेबलों को अपनी बात रखने के लिए मंच दिया गया। सीसीआर में आयोजित डॉ मुकुल शर्मा की क्लास में कांस्टेबलों ने खुलकर अपनी समस्याओं को बताया। लेकिन इस दौरान भी चंद्रवीर को डॉ मुकुल शर्मा और एसपी सिटी ममता वोहरा अलग से मिलते थे और उसकी बात को सुनते थे। चंद्रवीर की मनोदशा सुधरनी शुरू हो गई थी। लेकिन पुलिस महकमे में एकाएक तबादलों के बाद एसपी सिटी ममता वोहरा देहरादून चली गई। जबकि चंद्रवीर का तबादला विजीलेंस में हो गया। विजीलेंस में चंद्रवीर ने आत्महत्या कर ली और कई अनसुलझे सवालों को हवा दे दी।

सिजोफीमिया बीमारी से ग्रस्त था

कांस्टेबल चंद्रवीर का इलाज कर रहे मनोवैज्ञानिक डॉ मुकुल शर्मा ने बताया कि चंद्रवीर सिजोफीमिया नामक बीमारी से जूझ रहा था। लेकिन करीब ढाई महीने से उनके संपर्क में कम था। पूर्व में लगातार संपर्क में रहने के दौरान उसकी मनोदशा ठीक होने लगी थी। परिवार वाले भी उसका ध्यान रखते थे। उसकी बहन से लगातार बातचीत होती रहती थी। उसको अकेला छोड़ने के लिए मना किया था। हो सकता है कि उसकी बीमारी दिमाग पर हावी हो गई हो। चंद्रवीर की मृत्यु से डॉ मुकुल शर्मा बेहद आहत है।



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