नवीन चौहान
गढ़वाल विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली की आशंका दिखाई पड़ रही है। पर्यावरण विज्ञान या वानिकी विज्ञान में प्रोफेसरों के पदों पर अपने चहेतों को फिट करने के लिए पूरी प्लानिंग बनाई गई है। जिसके लिए मानकों को ताक पर रखा जा रहा है। अयोग्य व्यक्तियों को फिट करने के लिए ताना बाना बुना गया है। देखना होगा कि विश्वविद्यालय के कुलपति इस धांधली को रोकने में सफल होंगे या अपनी आंखों पर पटटी बांधकर कार्य करेंगे।
बताते चले कि विश्वविद्यालय के एक उच्च पदाधिकारी के चहेते को फिट करने की तैयारी की जा रही है। इस चहेते के पास न तो स्नात्तकोन्तर स्तर पर और ना ही पीएचडी स्तर पर पर्यावरण विज्ञान या वानिकी विज्ञान विषयों में कोई डिग्री है। और न शिक्षण कार्य का अनुभव है। बस उच्चाधिकारी से पारिवारिक संबंध है। इसने चहेते ने उच्चाधिकारी के साथ मिलकर कुछ शोध परियोजनाओं को पूरा किया है। और उच्चाधिकारी के साथ यह चहेता विदेशों का भ्रमण भी कर चुका है। मजेदार बात यह है किे इस चहेते के कहने पर उच्चाधिकारी ने कुछ एक्सपर्टों को सेलेक्शन कमेटी में भी फिट कर दिया है। जिनके साथ चहेते ने कई शोधपत्रों को प्रकाशित किया है। चहेते का विश्वविद्यालय में जुगाड़ करने के लिए ही गैर कानूनी ढंग से पर्यावरण विज्ञान और वानिकी विज्ञान के लिए प्राफेसर के पदों को सामान्य कैटेगरी में करवा दिया है। चहेता जहां नौकरी कर रहा है, वहां से वह एक साल बाद सेवानिवृत्त हो जायेगा। उससे पहले ही चहेते ने पैसठ वर्ष ही सीमा तक नौकरी करने के लिए अपनी पूरी सेटिंग कर दी है। चहेते के इस प्रकरण पर जिन अभ्यर्थियों ने पर्यावरण विज्ञान और वानिकी विज्ञान में प्रोफेसर के पद पर आवेदन किया हैं। उनमें भयंकर रोष हैै। और उन्होंने विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली पर कई सवाल उठा दिये है। कुछ अभ्यर्थियों ने इस प्रकरण से प्रधानमंत्री और अन्य कई आफिसरों को अवगत कराया है। अभ्यर्थियों ने अब चहेते की नियुक्ति होने पर सक्षम न्यायालय में जाने का मन बना लिया है।
अब यह देखना है कि चहेते के लिए 23 जनवरी 2020 को वानिकी विज्ञान में प्रोफेसर के लिए और 24 जनवरी 2020 को पर्यावरण विज्ञान में प्रोफेसर पद के लिए सेलेक्शन कमेटी की बैठक निर्धारित की गयी है। देखने वाली बात ये है कि कुलपति इस विश्वविद्याल की छवि को धूमिल होने से बचाने के लिए इमानदारी से कार्य करते है। या फिर अपनी आंख बंद कर लेते है।