अखबार मालिकों और पत्रकारों के सामने आर्थिक संकट, सरकार ने नही ली कोई सुध




नवीन चौहान
कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए देशभर में किए गए लॉक डाउन के चलते अखबार मालिकों और उनसे जुड़े पत्रकारों के सामने आर्थिक संकट आ गया है। जहां अखबारों की ब्रिकी बंद हो गई है। वही आपदा की इस घड़ी में देश की जनता को जागरूक करने की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मीडिया पर आ गई है। पत्रकार अपनी जान जोमिख में डालकर कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाते हुए पीड़ित गरीब जनता तक पहुंचकर उनकी समस्याओं को उजागर कर रहे है। गरीब जनता की पीड़ा को सरकार और प्रशासन के कानों तक पहुंचा रहे है। जिसके चलते जनता की समस्याओं का निदान होना संभव हो पा रहा है। इन तमाम चुनौतियों के बीच मीडिया घराने और पत्रकार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है। मध्यम वर्गीय और साप्ताहिक अखबारों को प्रकाशन कराने के लिए धन का अभाव हो रहा है। वही डिजिटल पत्रकारों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है।
कोरोना वायरस की चपेट में जनता को सुरक्षित बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंस के फार्मूले का उपयोग किया। सोशल डिस्टेंस को सफल बनाने के लिए पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया। जिसके बाद से देशभर में सभी प्रतिष्ठान बंद है। देश के नागरिक अपने—अपने घरों में है। आपदा की इस घड़ी में देश की सरकार, प्रशासन, चिकित्सक, पुलिस और मीडियाकर्मी अपनी महती भूमिका अदा कर रहे है। सरकार जहां पूरी रणनीति बना रही है। प्रशासन रणनीति को सफल बनाने में जुटे है। चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे है और मीडियाकर्मी अपनी खबरों के माध्यम से जनता को कोरोना के प्रभाव और उनके बचने के लिए जागरूक कर रहे है। लॉक डाउन भारत में पूरी तरह से प्रभावी है। लेकिन मीडियाकर्मी पूरे जोश और उत्साह के साथ एक सैनिक की भांति अपने—अपने क्षेत्रों में उतरे है। पत्रकार झुग्गी झोपड़ियों से लेकर गरीबों के भोजन और राशन पानी की समस्याओं से सरकार और प्रशासन को अवगत करा रहे है। लेकिन इन सबके बीच पत्रकार खुद बहुत दयनीय स्थिति से गुजर रहे है। पत्रकारों के निजी विज्ञापन बंद हो गए है। जो विज्ञापन प्रकाशित हुए है उनका भुगतान अटक गया है। ऐसे में पत्रकार दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे है। एक तो मध्यम वर्गीय अखबारों में दैनिक, साप्ताहिक और पाक्षिकों के मालिकों को प्रकाशन के खर्च से जूझना पड़ रहा है। वही पत्रकारों को देने के लिए वेतन का संकट है। विभिन्न स्थानों पर खबरें जुटाने वाले पत्रकारों पर लॉक डाउन का असर साफ दिखाई देने लगा है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से पत्रकारों के लिए आर्थिक सहयोग करने की कोई घोषणा नही की गई है। वही राज्य सरकार भी मौन धारण किए हुए है। हालांकि सरकार के आर्थिक सहयोग के बिना भी पत्रकारों का जोश कम होने वाला नही है। पत्रकार अपनी पूरी ऊर्जा के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता ही रहेगा।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *