केंद्रीय मंत्री डॉ निशंक ने गुरूकुल कांगड़ी के छात्रावास का किया शिलान्यास




सोनी चौहान
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों के लिए छात्रावास के शिलान्यास समारोह का उद्घाटन केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डाॅ रमेश पोखरियाल, निशंक ने मुख्य अतिथि बतौर आज विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय सभागार में किया। उन्होंने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय 100 वर्ष पुराना है और इसका गौरवशाली इतिहास रहा है। विश्वविद्यालय अब नए आयाम के साथ आगे बढ़ रहा है। भारतीय तकनीकी परिषद् द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों के लिए छात्रावास बनाने हेतु अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि वेद, उपनिषद और पुराणों को विज्ञान से जोड़कर अनुसंधान के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय नए कार्य करे। विदेशों में शोध कर रहे वैज्ञानिक हमारे प्राचीन ग्रन्थों पर विज्ञान को लेकर हवाला देते हैं। इसी तरह का कार्य इस विश्वविद्यालय में होना चाहिए। यह विश्वविद्यालय ज्ञान विज्ञान का शक्तिपुंज बने। हमारे पास बहुत सारे संसाधन है उन संसाधनों का प्रयोग कर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाए। देश और दुनिया में भारत का वास्तुशास्त्र को लेकर विदेशों में विशेष दबदबा रहा है। वास्तुशास्त्र और विज्ञान का समन्वय कर नए-नए शोध किए जाए। देश में काशी विश्वविद्यालय के बाद गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विशाल पुस्तकालय है। इस विश्वविद्यालय ने देश को जानी-मानी हस्तियां दी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के उत्थान के लिए भारतीय तकनीकी परिषद समय-समय पर अनुदान देती रहेगी। विश्वविद्यालय के लिए भारतीय तकनीकी परिषद का दरवाजा खोल दिया जाएगा।


उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और गुरुकुल के संस्थापक स्वामी श्रद्धानन्द मित्र थे और यहां के छात्रों ने ही उस समय गांधी जी के मुहिम को आगे बढ़ाया, और यही वह धरती है जहां गांधी जी को महात्मा की उपाधि प्रदान की गई थी। इस समय पूरे भारतवर्ष में गांधी जी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को विश्वविख्यात विश्वविद्यालय बनाना मेरा मिशन है। इस मिशन को लेकर देवभूमि में मैंने कुलाधिपति का पदभार ग्रहण किया है। शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी और छात्र विश्वविद्यालय के उत्थान के लिए यह संकल्प लें कि हम कोई गलत कृत्य नहीं करेंगे, जिससे विश्वविद्यालय का नाम बदनाम न हो। उन्होंने कहा कि कन्या कुमारी से लेकर गंगा सागर तक 82 प्रतिशत सम्पादक पूरे भारतवर्ष को दिए है। यह एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां पर विदेशी एक पादरी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी से आग्रह किया था कि वह हिन्दी सीखना चाहता है। तब स्वामी जी ने कहा कि आप तभी हिन्दी सीख सकते हैं जब आप पूरी तरह से शाकाहारी हो जाए। इस विश्वविद्यालय ने उस पादरी को हिन्दी सिखाकर उसके जीवन को पूरी तरह परिवर्तित कर दिया। यह देवभूमि है इस देवभूमि में हजारों-लाखों लोगों की जिन्दगी को बदला है। उनकी काया कल्प कर दी है। यह विश्वविद्यालय पूण्यभूमि है यहां जो आता है वह विश्वविख्यात हो जाता है।


उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में 4 विभाग स्ववित्त पोषित से चल रहे है उन विभागों को भारत सरकार अनुरक्षण अनुदान देकर उनका उन्नयन करें, जिससे लम्बे समय से चले आ रहे शिक्षक और कर्मचारी अनुरक्षण अनुदान से अपने जीवन को लाभान्वित कर सकें। उन्होंने मानव संसाधन एवं विकास मंत्री से स्ववित्त पोषित विभागों को पल्लवित करने के लिए 21 करोड़ रूपये की आग्रह किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि आज छात्रावास का शिलान्यास हो रहा है। यह विश्वविद्यालय के प्रगति के लिए एक बहुत बड़ा कदम है। विश्वविद्यालय में आज से प्लास्टिक को बेन कर दिया गया है। इस कार्य में शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी और छात्र अपना सहयोग दें। विश्वविद्यालय नए सोपान की तरफ अनवरत बढ़ता जा रहा है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 दिनेश चन्द्र भट्ट ने सभी अतिथियों का स्वागत कर हृदय से आभार व्यक्त किया। छात्र/छात्राओं ने इस अवसर पर भारतीय तकनीकी परिषद के सलाहकार प्रो0 दिलीप मारखेडे, कीर्ति सिंह, विधायक आदेश चौहान, मनोज गर्ग, ओम प्रकाश जगदग्नि, विमल कुमार, प्रो वीके शर्मा, प्रो महावीर अग्रवाल, प्रो डीके माहेश्वरी, प्रो आरसी दुबे, प्रो नवनीत, प्रो अम्बुज शर्मा, प्रो एमआर वर्मा, प्रो पीसी जोशी, प्रो एलपी पुरोहित, प्रो राकेश शर्मा, प्रो एस के श्रीवास्तव, प्रो कर्मजीत भाटिया, प्रो पीपी पाठक, प्रो ईश्वर भारद्वाज, प्रो आरकेएस डागर, डा अजय मलिक, प्रो प्रभात कुमार, प्रो सोमदेव शतांशु, प्रो ब्रह्मदेव, प्रो सत्यदेव निगमालंकार, प्रो नमिता जोशी, प्रो दिनेशचन्द्र शास्त्री, डा विपुल शर्मा, डा मयंक अग्रवाल, डा श्वेतांक आर्य, डा सुनील पंवार, डा धर्मेन्द्र वालियान, सेठपाल, डा दीनानाथ इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो पंकज मदान द्वारा किया गया।



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