शराब तस्करों के सामने बौना पड़ा आबकारी महकमा, पुलिस बेबस




नवीन चौहान
शराब माफियाओं के सामने उत्तराखंड का आबकारी महकमा बौना साबित हुआ हैं। गंगा नगरी में चप्पे-चप्पे पर अवैध शराब की तस्करी की जाती हैं। जबकि हरिद्वार जनपद के देहात के इलाकों के तो शराब माफियाओं ने खेतों में शराब बनाने की फैक्ट्री लगाई हुई हैं। हालांकि कई बार पुलिस महकमे ने इस शराब तस्करों पर शिकंजा कसा। लेकिन इन माफियाओं की दबंगई के सामने पुलिस भी बेबस पड़ गई। आबकारी विभाग के संरक्षण के चलते इन तस्करों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में जब जहरीली शराब से गांव में मौत का तांडव हुआ तो सरकार से लेकर सभी आबकारी और पुलिस सभी बगले छांक रहे हैं। किसी को कुछ कहते नहीं बन पा रहा हैं। आखिरकार इन अवैध कृत्यों को रोकने की जिम्मेदारी भी सरकार और प्रशासन की हैं।
उत्तराखंड प्रदेश के राजस्व के दृष्टिकोण हरिद्वार जनपद सबसे ज्यादा सशक्त हैं। प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने में हरिद्वार का बहुत बड़ा योगदान है। इन सबके बीच एक सबसे बड़ी बात और भयावय सच ये भी है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा अवैध कृत्य हरिद्वार जनपद में होते है। ये पैंसा बरसता हैं। इसीलिए सरकारी महकमे के अधिकारी हरिद्वार में तैनाती के लिए सिफारिशे लगवाते हैं। सरकार के साथ-साथ इन अधिकारियों की जेब भी गरम होती है। लेकिन शुक्रवार आठ फरवरी की सुबह हरिद्वार जनपद में 12 लोगों की मौत ने पूरे सरकारी सिस्टम की पोल खोलकर रख दी। ये पूरा मामला जहरीली शराब का है। जिसको रोकने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग की हैं। इस आबकारी विभाग के अधिकारी धींगामुस्ती में कार्य करते है। शराब माफियाओं से इनका गठजोड़ हैं। खुद शराब माफियाओं के लिए पैरवी तक करते दिखाई पड़ते हैं। आबकारी विभाग के सिपाहियों से लेकर अधिकारियों को अवैध शराब के सभी ठिकानों की जानकारी हैं। लेकिन इनका लालच इतना बढ़ा हुआ है कि ये शराब तस्करों पर कार्रवाई करने से गुरेज करते है। दूसरा सच ये भी है कि जिस तस्कर से पैंसे नहीं मिलते उसके ठिकाने को पकड़कर मीडिया की सुर्खियां बटोरने में भी देरी नहीं करते हैं। ऐसे में ये सरकारी नुमांइदे प्रदेश सरकार को तो राजस्व का नुकसान पहुंचा ही रहे हैं। इसके साथ ही गरीब और कमजोर तबके को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन आबकारी विभाग अधिकारियों का नैतिक दायित्व नहीं बनता कि अवैध शराब के ठिकानों को ध्वस्त किया जाए। तस्करों को पकड़ा जाए और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। लेकिन दायित्व तो दूर की बात ये अधिकारी तो अपना कर्तव्य भी नहीं निभा पा रहे हैं। हरिद्वार जनपद की मलाईदार पोस्टिंग सिर्फ अपनी जेब गरम करने के लिए करते हैं।



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