लालढांग क्षेत्र के ग्रामीणों का नरक से भी बदत्तर जीवन




नवीन चौहान
लालढांग क्षेत्र के ग्रामीणों का जीवन नरक से भी बदत्तर है। गांवों में समस्याओं का अंबार लगा है। प्रधान और जनप्रतिनिधियों को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई सरोकार नही है। प्रशासनिक अधिकारी महज खानापूर्ति कर रहे है। ग्रामीणों की योजनाओं का पेट फाइलों में भर रहे है। विकास योजनाओं का पैंसा पानी की तरह बहाया गया। लेकिन योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक नही पहुंचा। रैबार एनजीओ संचालिका श्रुति लखेड़ा जब लालढांग क्षेत्र के ग्रामीणों का उत्थान करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ी तो तमाम समस्या उजागर हो पाई। जिसके बाद डीएम सी रविशंकर ने ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने का ड्रीम प्रोजेक्ट तैयार किया। इसी के चलते डीएम लालढांग क्षेत्र के गांवों का निरीक्षण कर रहे है और भ्रष्टाचारियों की पोल खुल रही है।
बुधवार 5 अगस्त 2020 को डीएम सी रविशंकर आर्य नगर स्थित गाँव में करीब ३ बजे पहुंचे। डीएम ने जब लोगों से उनकी समस्याओं को जाना तो एक महिला ने आवास योजना के अंतर्गत बने मकान की स्थिति दिखाई। महिला ने बताया कि साहब बड़ी मुश्किल से यह आवास योजना से घर मिला। उसका भी हाल यह है की मकान पर प्लास्टर भी नहीं है। जब डीएम ने प्लास्टर ना होने का कारण पूछा गया तो महिला ने तुरंत जवाब दिया के प्रधान ने १३००० रुपये लिए थे तो आवास योजना के पैसे से मकान पूरा कैसे बनवाती । मकान अंदर से निरीक्षण करते हुए डीएम साहब के चेहरे पर चिंता की लकीरे साफ दिखी। जिसके बाद जिला विकास अधिकारी चौहान और बीडीओ धमाँडआ, बीडीओ रामपाल सिंह को डीएम ने कड़ी फटकार लगाई। डीएम ने जांच कराने की बात कही। आरोप सही पाए गए तो निलंबित करने की चेतावनी दी।
डीएम ने देखा सबसे दुखद दृष्य
एक महिला शशि देवी जो की अंधी सास और बुजुर्ग ससुर और ४ बेटियों के साथ दिहाड़ी मज़दूरी कर 8 लोगों का पेट पालती है। मिट्टी के इस घर की स्थिति शायद सबसे दयनीय थी। जहां इस टूटे हुए घर की छत पर तिरपाल को कुछ लकड़ियों से रोका हुआ था। गोबर से लीपा हुआ आँगन। जिसके अंधी सास लाठी लिए बुजुर्ग ससुर के साथ हाथ जोड़े खड़ी थी। चार मासूम बच्चों के साथ शशि अपना घर डीएम साहब को दिखा रही थी। साहब ने पूछा की आंगनबाड़ी से आज पांच तारीख होने पर क्या राशन मिला। तो घर के कोने से एक पुड़िया लेकर उसने डीएम साहब के सामने रख दी। पुड़िया को देखकर उन्होंने उसकी जाँच की और उसके मिली सामग्री की सही जानकारी और संख्या उपरोक्त अधिकारी डीडीओ से ली। लोगों ने इस इलाक़े के सम्बंध में जंगली जानवरों के फसल बर्बाद करने की समस्या भी रखी।
डांडियावाला गांव की हालत
डीएम सी रविशंकर का दौरा डांडियावाला गांव में हुआ। यह गाँव हमेशा गलत कार्यो के लिए सुर्ख़ियों में रहता है। गाँव में पूर्ण जनजाति तोक निवास करती है। ढाँग से बने हुए गाँव की हालत विकास कार्यों की पोल खोलती है। मानव संसाधन और शिक्षा के मामले में सबसे पिछड़ा इलाका है। शिक्षा के बारे में सवाल करने पर लोगों ने बताया के 5 th ya 8th से ऊपर यहाँ पर लड़कियाँ और 10 th तक लड़के इतनी ही शिक्षा प्राप्त हैं। यहाँ पर युवकों के बेरोजगारी की समस्या प्रबल दिखी।
गाँव की स्वच्छता की दृष्टि से सबसे बुरी हालत है। नाली सड़कों पर बहती हुई। पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं । सिंचाई की कोई व्यवस्था ना होने की। और सबसे दुखद दृश्य था जब गाँव के बीचों बीच एक गंदगी और बीमारी का घर बना हुआ तालाब जो की इतनी गंदी स्थिति में था। कि सारे गाँव को इससे कई जानलेवा बीमारियों का ख़तरा था। मौक़े पर डीएम साहब ने डीडीओ और वीडीओ के साथ कुछ देर इससे देखा और चिंतन करने लगे। ग्राम सभा की खुली बैठक में इसकी सौंदर्यकरण और ग्रामीण युवकों के लिए मछली पालन का काम का प्रस्ताव रखा गया है ।



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