हिन्दी दिवस पर डीएवी में हुआ रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार।

डीएवी सेंटेनरी स्कूल में हिन्दी दिवस पर अनेक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए। बच्चों की प्रस्तुति का उपस्थितजनों ने जुमकर लुत्फ उठाया तथा उनकी प्रस्तुतियों की सराहना की। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में मंच संचालन करती कक्षा 11वीं की छात्राओं पूनम शाह एवं दिव्यांशी गिरि ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कक्षा 10वीं की छात्राओं श्रुति ग्रोवर एवं अंकिता गोयल ने हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। हिन्दी एवं संस्कृत अध्यापक नवनीत कुमार बलोदी ने स्वरचित कविता ‘माँ ने मुझसे इक रोज कहा था, करता चल सबसे राम-राम’ बच्चों के सामने प्रस्तुत की। डॉ. अतुल कुमार ने अपनी स्वरचित कविता ‘हर हिन्दुस्तानी को हिन्दुस्तान में हिन्दी का दीदार हो, यही है तमन्ना मेरी हिन्दी का पूरे विश्व में प्रचार हो’ प्रस्तुत की। इसके बाद कक्षा सात की छात्राओं आर्या शर्मा एवं उदिति दुबे ने ‘कान्हा नहीं मानत बतियाँ’ पर सुन्दर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कक्षा तीन के ही नन्हें विद्यार्थियों ने मंच पर कवि सम्मेलन प्रस्तुत किया कक्षा तीन के अभिजित पाण्डेय की ‘हिन्दी भाषा है हमारी, ये है हिन्दुओं को सबसे प्यारी’ अश्रुति चतुर्वेदी ने ‘हिन्दी हमारी भाषा है, दिल को छू लेती है’ ‘हिन्दी मेरे रोम-रोम में’ प्रस्तुत की तो सभागार में तालियाँ गूँज उठी। कक्षा पाँच की छात्रा ऐश्वर्या बक्शी ने ‘नटखट बंसी वाले गोकुल के राजा’ पर खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियाँ बटोरी। इसके पश्चात् कम्प्यूटर विभाग के अध्यापक वरूण शर्मा ने आदिकाल से आधुनिक काल तक के लेखकों एवं कवियों की रचनाएं, लेख एवं एकांकी सम्बन्धी जानकारी पावर प्वाइंट के माध्यम से सांझी की। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में कक्षा तीन एवं कक्षा चार की छात्राओं ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थितजनों की वाहवाही लुटी।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने हिन्दी विभाग द्वारा तैयार किए गए कार्यक्रम की वाहवाही की। उन्होनें बच्चों को बताया कि हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हर हिन्दुस्तानी हिन्दी में विचार करता है, हिन्दी में सोचता है। हिन्दी भाषा का सही उच्चारण एवं लेखन हमें अच्छी प्रकार से आना चाहिए। यही एक ऐसी भाषा है, जिसमें हर शब्द में अलग-अलग प्रकार का भाव, सुन्दरता एवं अहसास होता है। हिन्दी भाषा के लिए हमारे मन में जज्बात होने चाहिए। हमें अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। इसके पश्चात् उन्होनें विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रत्येक कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की एवं अध्यापकों को एक अच्छा कार्यक्रम तैयार करवाने के लिए धन्यवाद दिया।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *