नवीन चौहान
पीएम मोदी के हाथ मजबूत करने और निशंक को करीब पांच लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज कराने के दावों की पोल हरिद्वार के दो विधायक खोल रहे है। दोनों विधायक एक दूसरे को फूटी आंख नही सुहा रहे है। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरिद्वार भाजपा प्रत्याशी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक इन दोनों विधायकों के बीच सुलह नही करा पाए हैं। दोनों विधायकों के बीच छिड़ी जंग का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मौजूदगी में खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और झबरेडा विधायक देशराज कर्णवाल के बीच तनातनी हो गई। हालांकि पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मूकदर्शक बने रहे। जबकि कमरे में मौजूद अन्य भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता तमाशबीन बने रहे।
भाजपा एक अनुशासित पार्टी कही जाती है। एक पार्टी में संगठन को सर्वोपरि माना जाता है। संगठन के नियमों में रहकर पार्टी की नीतियों का प्रचार प्रसार किया जाता है। लेकिन राजनैतिक महत्वकांक्षा के चलते कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए खानपुर विधायक प्रणव सिंह चैंपियन अपने वयालों को लेकर सुर्खिया बटोरते रहे है। लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी देवयानी के टिकट की मांग करते हुए विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने भाजपा के डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को प्रवासी पक्ष तक कह डाला। कुंवर प्रणव सिंह ने अपनी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी की तो झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल भी मैदान में कूद गए। देशराज ने अपनी पत्नी के लिए टिकट देने की बात की और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी की शिक्षा पर सवाल उठाया। इस बात पर कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के समर्थक भड़क गए। देशराज कर्णवाल और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के समर्थकों के बीच की रार बढ़ती जा रही है। इसी बढ़ती रार की एक झलक प्रेम नगर आश्रम में उस वक्त दिखाई दी जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चाय पीने के लिए आश्रम के एक कक्ष में पहुंचे। मुख्यमंत्री चाय की चुस्कियां ले रहे थे तो विधायक प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवाल के बीच चल रही पुरानी रार बहस एक बार फिर छिड़ गई। हालांकि बंद कमरे में हुई इस बहस को सार्वजनिक करना ठीक नही। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से एक बात को साबित हो गई कि भाजपा का दामन थामने और भाजपा की विचारधारा को आत्मसात करने में विरोधाभास दिखाई पड़ रहा है। विधायक देशराज कर्णवाल और कुंवर प्रणव चैंपियन के बीच की रार में अनुशासन टूटता दिखाई पड़ रहा है। अगर अनुशासन की सीख लेनी हो तो खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा प्रत्याशी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, बीय सूत्री क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष नरेश बसंल व हरिद्वार विधायक मदन कौशिक से ली जा सकती है। ये सभी अलग-अलग गुट के होने के बावजूद भाजपा संगठन को सर्वोपरि रखते है। भाजपा को मजबूत करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ते है। निशंक, त्रिवेंद्र, नरेश बसंल और मदन सरीखे कई नेता भाजपा की विचारधारा में रचे बसे है और कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और देशराज कर्णवाल को पार्टी हित को ध्यान में रखते हुए अपने स्वयं रखना होगा। इन युवा विधायकों का संयम ही इनको भाजपा संगठन में ऊंचाईयां प्रदान करेंगा। अगर ये इसी तरह एक दूसरे कटाक्ष करेंगे तो बहुत जल्द जनता के दिलों में अपने प्रति सम्मान को भी खो देंगे। वैसे खानपुर विधायक प्रणव सिंह चैंपियन जल्दी से किसी से उलझते नही है लेकिन अगर उलझ जाए तो जल्दी से छोड़ते नही है। प्रणव सिंह चैंपियन चार बार से विधायक है और जनाधार वाले नेता है। जबकि देशराज कर्णवाल पहली बार झबरेडा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे है। राजनीति के क्षेत्र में देशराज कर्णवाल को बहुत कुछ सीखना बाकी है।