मुख्य सचिव ने जनता को दिया दिलासा, बोले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर घबराने की जरूरत नहीं




  • लॉकडाउन के नियमों का करें पालन, सोशल डिस्टेंसिंग का रखे ध्यान, जरूरी काम से ही निकले घर से बाहर

  • बाहर से आने वाले सभी लोगों की करायी जा रही है निगरानी, रेस्पांस टीम हर जिले में तैनात


नवीन चौहान
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान में बढ़ते मामलों को देखते हुए घबराने की आवश्यकता नहीं है। पूरे देश के साथ ही उत्तराखण्ड में भी केस बढ़ रहे हैं। शासन-प्रशासन इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। हमारे यहां बैड, आक्सीजन, वेंटीलेटर, आईसीयू आदि आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में हैं। हमारे चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। हमारे यहां मृत्यु दर कम है। बस कुछ सावधानियां रखने की आवश्यकता है।

लॉकडाउन के नियमों का करें पालन
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें, निर्धारित व्यक्तिगत दूरी बनाकर रखें, मास्क का अनिवार्यता से प्रयोग करें, कार्यस्थल पर सेनेटाईजेंशन की व्यवस्था हो और क्वारेंटाईन के नियमों का अक्षरक्षः पालन करें।
मुख्य सचिव ने प्रेस ब्रीफिंग करते हुए बताया कि अभी तक कुल पाॅजिटीव केस 298 आए हैं। इनमें से 56 केस ठीक होकर जा चुके हैं। वर्तमान में एक्टीव केस 238 हैं। पिछले कुछ दिनों में संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

उत्तराखण्ड के प्रत्येक जिले में एक्टिव केस
प्रमुख सचिव ने बताया इस समय उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में एक्टिव केस हैं। उत्तराखण्ड में सैंपल के पाॅजिटिव पाए जाने की दर 1.75 प्रतिशत है। हमारे यहां संक्रमित मामलों में से मृत्यु की दर भी अन्य बहुत से राज्यों की तुलना में कम है। अभी इन कुछ दिनों में पाॅजिटिव केस सामने आए हैं। भारत सरकार की गाईडलाईन के अनुसार इनका अगले 10 दिनों तक परीक्षण किया जाएगा। अगर इस दौरान इनमें कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं और 7 वें दिन से 10 दिन के तक बुखार नहीं है तो इन्हें डिस्चार्ज किया जा सकता है।

वापस आने के लिए कराया जा रहा आनलाइन रजिस्ट्रेशन
मुख्य सचिव ने बताया कि 2 लाख 47 हजार से अधिक लोगों ने उत्तराखण्ड वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है, इनमें से 1 लाख 54 हजार से अधिक लोगों को विभिन्न माध्यमों से वापस लाया जा चुका है। अगले कुछ दिनों में गुजरात, तेलंगाना, पुणे, दिल्ली, जयपुर से ट्रेन से प्रवासी लोगों को लाने की योजना तैयार की जा रही है। त्रिवेन्द्रम से एक स्पेशल ट्रेन हरिद्वार आएगी। चेन्नई से भी ट्रेन की व्यवस्था की जा रही है। जयपुर से काठगोदाम भी प्रस्तावित है। उत्तराखण्ड के 200 व्यक्ति 24 देशों से भारत वापस आ चुके है। इनमें से तीन क्वारेंटाईन अवधि को पूरा कर चुके है। जबकि शेष अभी क्वारेंटाईन में हैं।

शुरू की जा रही हैं घरेलू उड़ान
मुख्य सचिव ने बताया कि घरेलू उड़ाने भी शुरू होने जा रही हैं। दिल्ली-देहरादून, मुम्बई-देहरादून व पंतनगर-देहरादून के लिए उडाने संचालित होंगी। इसके लिए एसओपी जारी की जा चुकी है। पूरी सावधानी से सारी व्यवस्थाएं रखी जाएंगी। जो भी इन उड़ानों से आएंगे, उन्हें क्वारेंटाईन रखा जाएगा। होटल में क्वारेंटाईन का भुगतान स्वयं करना होगा।

तकनीकी विशेषज्ञों को मिलेगी आने जाने की अनुमति
मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत सारे उद्योग व व्यवसाय चालू हो गए हैं। इनके संचालन के लिए कई बार तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। ऐसे लोगों को अल्प समय के लिए अनुमति दी जाएगी। वे एक निर्धारित स्थान पर रूकेंगे। वहां से कार्यस्थल पर जाएंगें और फिर वापस चले जाएंगे। इसमें उनकी जिम्मेवारी सुनिश्चित की जाएगी।

क्वारेंटाइन का पालन न करने पर होगी कार्रवाई
मुख्य सचिव ने कहा कि बाहर से आए लोगों को क्वारेंटाईन का पालन करना है। इसका उल्लंघन करने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड के प्रवासी लोगों को वापस लाने में सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। आने वाले व्यक्तियों की सूचना, जिला प्रशासन और ग्राम स्तर तक तैनात कार्मिकों को भी दी जा रही है। इसके अलावा वापस आए लोगों से फोन पर भी कंट्रोल रूम द्वारा निरंतर सम्पर्क रखा जाता है। प्रत्येक जिले में रेस्पोंस टीमों का गठन किया गया है जो कि लगातार फील्ड में जाकर क्वारेंटाईन किए गए लोगों पर नजर रखते हैं।

4500 से अधिक इकाईयों में काम शुरू
मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में 4500 से अधिक औद्योगिक इकाइयां शुरू की गई हैं। 6 हजार से अधिक कन्स्ट्रक्शन साईटों पर काम शुरू हुआ है। आर्थिक गतिविधियां प्रारम्भ हुई हैं। मनरेगा में 2 लाख 20 हजार से अधिक लोगों को काम मिला है। 8 हजार नए लोगों ने मनरेगा में पंजीकरण कराया है। इनमें से 5 हजार से अधिक लोगों को काम मिल चुका है।

आस्ट्रेलिया से आयी भेंड़ों से मिली ऊन
मुख्य सचिव ने बताया कि दिसम्बर में आस्ट्रेलिया से 240 मेरिनो भेड़ें मंगाई गई थीं। इन्हें टिहरी में रखा गया था। इन भेड़ों की ऊन की कटाई की गई है। इसके बेहतर परिणाम मिले हैं। अंतरराष्ट्रीय क्वालिटी की ऊन मिली है। भेड़ से सामान्यतः 1.5 से 2 किग्रा ऊन मिलती है। इन मेरिनों भेड़ से 5 से 6 किग्रा ऊन प्रति भेड़ प्राप्त हुई है। अब इनके माध्यम से भेड़ नस्ल सुधार का काम किया जाएगा। प्रदेश के भेड़पालकों को इससे बहुत लाभ होगा।



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